जुलाई में आर्थिक सुधार के बावजूद 32 लाख सैलरीड लोगों की चली गई नौकरी

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : कोरोना की दूसरी लहर का असर जुलाई के महीने में काफी कम हो गया था। इस महीने में आर्थिक सुधार में भी तेजी आई लेकिन बेरोजगारी के मामले में एकबार फिर से बुरी खबर आई। जुलाई के महीने में करीब 32 लाख सैलरीड लोगों की नौकरी चली गई। 31 जुलाई तक सैलरीड इंडिविजुअल की संख्या 76.49 मिलियन थी, 30 जून को यह संख्या 79.70 मिलियन थी। इस तरह जुलाई में कुल 3.21 मिलियन लोगों की नौकरी चली गई।

 

 

 

 

जुलाई 2019 में सैलरीड इंडिविजुअल की संख्या 86 मिलियन थी। जुलाई के महीने में लेबर पार्टिसिपेशन रेट प्री-कोविड के मुकाबले 2.7 फीसदी कम रहा। एंप्लॉयमेंट रेट 3.3 फीसदी कम रहा। इस परिस्थिति को लेकर आर्थिक जानकारों का कहना है कि फॉर्मल सेक्टर के एंप्लॉयमेंट मार्केट में रिकवरी अभी भी कमजोर है। जिन लोगों की नौकरी जा रही है वे सेल्फ-एंम्प्लॉयमेंट की तरफ बढ़ रहे हैं। जुलाई में गिग वर्कर्स एंप्लॉयमेंट में 2.4 मिलियन की तेजी दर्ज की गई और यह आंकड़ा 30.42 मिलियन का रहा।

 

 

 

 

देश में बेरोजगारी दर पिछले साल जुलाई-सितंबर में बढ़कर 13.3 फीसदी हो गई जो एक साल पहले इसी अवधि में 8.4 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नियमित अंतराल पर होने वाला श्रम बजार सर्वे में यह कहा गया है। बेरोजगारी दर से आशय कार्यबल में वैसे लोगों के फीसदी से है, जिन्हें कोई रोजगार नहीं मिला है। नियमिति अंतराल पर होने वाले आठवें श्रम बल सर्वे के अनुसार बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2020 में 20.9 फीसदी थी।

 

 

 

 

पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही में सभी उम्र के लिए श्रम बल की भागीदारी दर 37 फीसदी थी। यह उससे एक साल पहले इसी अवधि में 36.8 फीसदी थी। अप्रैल-जून 2020 में यह 35.9 फीसदी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने अप्रैल 2017 में निश्चित अवधि पर किए जाने वाले श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) शुरू किया था। पीएलएफएस के आधार पर, श्रम बल का अनुमान देते हुए एक त्रैमासिक बुलेटिन जारी किया जाता है। इसमें श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) श्रम बल भागीदारी दर(LFPR), बेरोजगारी दरए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) के तहत रोजगार और कार्य-उद्योग की व्यापक स्थिति के आधार पर श्रमिकों का वितरण आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।

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