चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव में इन 27 नेताओं पर लगाया प्रतिबंध, नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
देश में लोकतंत्र का पहला महापर्व बेहद रोमांचक और चुनौतीपूर्ण था। विधानसभा चुनाव 1952 के प्रचार और मतदान की यादें कई बुजुर्ग आज भी आंखों में संजोए हैं। अधिकांश प्रत्याशी पैदल, साइकिल, टमटम या बैलगाड़ी से प्रचार करने निकलते थे। बूथों पर एक कतार में सभी प्रत्याशियों के अलग-अलग चुनाव चिह्न वाले बक्से रखे गए थे। वोटर पर्ची लेकर बूथ पर पहुंचते थे और उन्हें मतपत्र दिया जाता था। लेकिन वोट डालना इतना आसान नहीं था।
बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर ये है कि इस साल विधानसभा चुनाव में बिहार के 27 नेता चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.इन पर कसा है चुनाव आयोग का शिकंजा और चुनाव आयोग ने 27 नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
अगर कोई भी प्रत्याशी चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं दें तो चुनाव आयोग को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10 के तहत यह अधिकार है कि वह उस प्रत्याशी पर प्रतिबंध लगा सकता है चुनावी खर्च का ब्यौरा परिणाम आने के 30 दिनों के अंदर नहीं देने या कोई जायज कारण नहीं बताने की स्थिति में चुनाव आयोग उस प्रत्याशी को 3 वर्ष की अवधि के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है और जिन 27 प्रत्याशी 3 सालों के लिए प्रतिबंधित किया गया है इनकी अवधि जनवरी 2022 में पूरी हो रही है.