गुरुग्राम मे कोरोना के बाद ब्लैंक फंगस बना हाॅटस्पाॅट

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : दिल्ली से सटा गुरुग्राम कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का भी हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा है। इसने जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग की भी चिंता को बढ़ा दिया है। प्रदेश सरकार के अनुसार राज्य में अभी तक ब्लैक फंगस के 70 मामले सामने आ चुके है। चिंता की बात यह है कि इनमें से आधे से ज्यादा मामले जिले के हैं।

 

 

जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुसार जिले में ब्लैक फंगस के अभी तक 40 मामले रिपोर्ट हुए हैं, जबकि जिले के विभिन्न अस्पतालों से हासिल हुई जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस से ग्रस्त अभी तक करीब 50 मरीजों की पहचान की जा चुकी है। निजी अस्पतालों से इलाज चल रहा है। इनमें कुछ मरीज दूसरे जिलों और राज्यों के भी हैं, जो यहां आकर इलाज ले रहे हैं।

 

 

ब्लैक फंगस संक्रमण कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोगों में पाया जा रहा है। इसके कुछ मामले पिछले साल कोरोना की पहली लहर में भी सामने आए थे। हालांकि, दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या पहले के अपेक्षा ज्यादा है। इस की वजह से निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे डॉक्टरों सहित स्वास्थ्य विभाग और सरकार भी चिंतित है।

 

 

ब्लैक फंगस के मामले में तेज बढ़ोतरी बीते चार से पांच दिनों में ही देखी गई है। फोर्टिस अस्पताल के ओटरहाइनोलैरिंगोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अतुल मित्‍तल ने कहा कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों और अन्‍य रोगों, खासतौर से मधुमेह आदि से प्रभावितों के लिए यह बड़ा जोखिम है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर है और कोविड में स्‍टेरॉयड्स और ऑक्‍सीजन से उपचार के बाद उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी गिर जाती है, जो ब्लैक फंगस संक्रमण का कारण है। इससे ग्रस्त मरीजों की आंखों की रोशनी कम होने लगती है। इसके अलावा यह नाक, काम और गले पर भी प्रभाव डालता है।

 

 

प्रदेश में अभी तक जिला सिर्फ कोरोना का ही हॉटस्पॉट बना हुआ है। यहां अभी तक एक लाख 73 हजार से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं। हालांकि इनमें से करीब डेढ़ लाख मरीज ठीक भी हो चुके हैं, लेकिन अब ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले भी गुरुग्राम से भी सामना आना बड़ी चिंता है। प्रदेश में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले गुरुग्राम में ही है।

 

 

डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा मधुमेह से पीड़ित मरीजों को है। जिले में कोरोना के अभी 20 हजार के करीब सक्रिय मरीज बचे हैं। इनमें से करीब दो हजार मरीज ऐसे हैं, जो पहले से मधुमेह से पीड़ित हैं। ऐसे में इन मरीजों पर ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है। डॉक्टरों की सलाह है कि ऐसे मरीज कोविड के उपचार के बाद मधुमेह के मामले में, हाइपरग्‍लाइसीमिया को नियंत्रित रखें और लगातार ब्‍लड ग्‍लूकोज लेवल पर नजर बनाए रखें और इसे बढ़ने न दें। इसके अलावा डॉक्टरों की सलाह है कि कोविड के मरीज स्‍टेरॉयड्स का इस्‍तेमाल भी काफी समझदारी से करें। डॉक्टरों की सलाह के बिना इसे बिलकुल न लें। मधुमेह के मरीज साथ-साथ अपनी शुगर की दवा भी लें।

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