आजकल हर टीम अपने बेस्ट खिलाड़ी को बाउंड्री पर रखती है : जॉनी बेयर्स्टो

 इसमें शायद ही किसी को संदेह है कि पिछले कुछ समय में क्रिकेट में फील्डिंग का महत्व बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ा है. इस बारे में हमें एक बेसिक नियम सिखाया गया- अगर आप करीब 80 मील यानी 129 किमी प्रति घंटे की गति से सटीक थ्रो करते हैं, तो भले ही आप विकेट से 60 यार्ड दूर हों, बल्लेबाज के आउट होने की बहुत ज्यादा ज्यादा आसार रहती है.

    1. अब ये कैसे पता चले कि हमारा थ्रो इस गति तक पहुंच रहा है कि नहीं? इसके लिए टीमें फील्डिंग में अनोखी तरकीब अपना रही हैं.
    2. फील्डिंग कोच बेसबॉल ग्लव्स पहनकर तो पहले से ही फील्डिंग की ड्रिल कराया करते थे, अब वे खिलाड़ियों के इन ग्लव्स के भीतर पेस सेंसर फिट करते हैं.
    3. इससे जो भी खिलाड़ी उन्हें थ्रो दे रहा है, उसके थ्रो की गति नोट होती रहती है. बाद में इनका एनालिसिस किया जा सकता है. इससे पता चलता है कि मॉडर्न डे क्रिकेट में थ्रो का महत्व कितना बढ़ गया है.
    4. फील्डिंग की ही कला की सम्मान तेजी से बढ़ी है- बाउंड्री कैचिंग. जिस तेजी से बिग हिटर उभरे हैं, उतनी ही तेजी से बाउंड्री कैचिंग अहम हुई है.
    5. आजकल हर टीम अपने बेस्ट खिलाड़ी को बाउंड्री पर रखती है. ये फील्डिंग पोजीशन पॉइंट जैसी ही अहम हो गई है.
      टीमें रिले कैचिंग की खासी प्रैक्टिस करती हैं.
    6. रिले कैचिंग (जब बाउंड्री पर कैच लेते हुए खिलाड़ी बैलेंस खोने पर गेंद उछालकर साथी खिलाड़ी को दे देता है) के लिए भी खास प्लान बनाए जाते हैं.
    7. बाउंड्री पर लगे फील्डर की तरफ कैच आए तो उसके सबसे समीप लगा फील्डर भागकर कैच ले रहे फील्डर के करीब 15 से 20 यार्ड पास आ जाएगा. ताकि अगर कैच लेते समय फील्डर का संतुलन बिगड़े  वह गेंद अंदर की ओर उछाले तो साथी फील्डर कैच ले सके.

 

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