अब गन्ना व आबकारी विभाग करेगा ऑक्सीजन का उत्पादन, सरकार ने दिया आदेश

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : कोरोना काल से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास व चीनी उद्योग तथा आबकारी विभाग ने अब राज्य में कोरोना मरीजों को बचाने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन की तैयारी की है। मंगलवार चार मई को एथानाल बनाने वाली चीनी मिलों में ऑक्सीजन उत्पादन के पाइलेट प्रोजेक्ट का परीक्षण होगा। इसके अलावा प्रदेश के हर जिले के एक सामुदायिक केन्द्र में यह दोनों विभाग मिलकर पचास बेड के मरीजों के लिए ऑक्सीजन प्लांट भी लगाएंगे।

यह जानकारी इन दोनों विभागों के अपर मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड्डी ने हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सहकारी व निगम क्षेत्र की पन्द्रह ऐसी चीनी मिलों को चिन्हित किया गया है जहां अभी एथानाल का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसी एथानाल बनाने वाली चीनी मिलों में नाइट्रोजन को फिल्टर करता है, नाइट्रोजन फिल्टर करने वाले इस उपकरण को निकालकर ऑक्सीजन फिल्टर लगाया जाएगा। नान आयल बेस्ड कम्प्रेसर पम्प लगाया जाएगा और फिर 98 से 99 प्रतिशत ऑक्सीजन बनाई जाएगी जिसे क्रायोजेनिक टैंकरों में भरकर अस्पतालों को आपूर्ति की जाएगी।

उन्होंने बताया कि दुनिया में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है। अगर मंगलवार को यह प्रयोग सफल हो गया तो चीनी मिलों में 68 किलोलीटर प्रतिदिन एथानाल बनाने वाली डिस्टलरी में 20 से 25 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन बनेगी। अगर पाइलेट प्रोजेक्ट में कुछ दिक्कत आई तो फिर विदेश से कुछ उपकरण मंगवाने पड़ेंगे।

उन्होंने इन दोनों विभागों की एक और नई पहल की जानकारी देते हुए बताया कि गन्ना विकास व चीनी उद्योग तथा आबकारी विभाग मिल कर हर जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पचास बेड के मरीजों के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाएंगे। यह ऑक्सीजन प्लांट विदेश से आयात किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि ऐसे हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में इस ऑक्सीजन प्लांट के लिए जमीन मुहैया करवाने और प्लांट की सुरक्षा की जिम्मेदार जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी की होगी।

पिछले साल कोरोना संक्रमण की शुरूआत होने पर 20 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना विकास व चीनी उद्योग तथा आबकारी विभाग को संक्रमण से बचाव के लिए सैनेटाइजर बनाने के बारे प्रयास करने के निर्देश दिये थे और 24 मार्च से सैनेटाइजर का उत्पादन शुरू हुआ था। अब तक 97 इकाईयों द्वारा दो करोड़ लीटर से अधिक सैनेटाइजर का उत्पादन किया जा चुका है। जिनमें चीनी मिलें, डिस्टलरी, अन्य औद्योगिक इकाईयां भी शामिल हैं।

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