अखिलेश यादव के राजनैतिक बुलंदियो के पीछे है इस शख्स का अहम रोल !

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज पूरे देश में पॅापुलर हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सबसे कम उम्र में देश की सबसे अधिक लोकसभा सीट वाले राज्य के मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड अपने नाम कर चुके हैं।

अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई, 1973 को सैफ़ई में हुआ। उसके बाद उनकी शिक्षा-दीक्षा इटावा लखनऊ और सैनिक स्कूल धौलपुर राजस्थान में हुई। अखिलेश के राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की कहानी बड़ी दिलचस्प है।

अखिलेश यादव कन्नौज के पूर्व सांसद प्रदीप यादव के पास आते जाते रहते थे। उस वक्त उनके पास रायल इनफील्ड की एक बुलेट मोटरसाइकिल थी। प्रदीप यादव अपने क्षेत्र के तेज-तर्रार नेताओं में गिने जाते थे। इसलिए मुलायम सिंह यादव ने प्रदीप यादव से कहा था कि अखिलेश को आप अपने साथ तो रखिए लेकिन शाम होने के पहले उनको घर भेज दिया करिए। मुलायम सिंह यादव ने यह सावधानी बरतने के लिए इसलिए कहा क्योंकि राजनैतिक स्पर्धा में उस वक्त तक उनके ऊपर कई जानलेवा हमले हो चुके थे।

यहां यह ध्यान देने लायक बात है कि प्रदीप यादव को 1998 के बाद फिर दुबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला। 1999 में मुलायम सिंह खुद लड़े और जीते। मुलायम सिंह यादव दो जगहों से लोकसभा चुनाव जीते थे और कन्नौज की सीट खाली करने के कारण सन् 2000 में उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में प्रदीप यादव के कहने पर मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को कन्नौज लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया और उन्हें जिताने की जिम्मेदारी भी सौंपी।

इसके बाद से प्रदीप यादव को अखिलेश यादव का ही राजनैतिक कैरियर संवारने से ही फुर्सत नहीं मिली। सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उन्हें दिवियापुर विधानसभा से चुनाव लड़ाया और प्रदीप यादव विधायक बने। चुनाव के बाद अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गये। इस दौरान वह लगातार अखिलेश यादव के साथ साये की तरह लगे रहे और उन्हें जरूरत के हिसाब से मशविरा देते रहे। अब अखिलेश यादव एक परिपक्व राजनीतिज्ञ की तरह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद का दायित्व उठा रहे हैं।

वर्ष 2016 में अखिलेश को जब अपने ही परिवार से राजनैतिक चुनौती मिली तो प्रदीप यादव अखिलेश के ही साथ रहे जबकि वह मुलायम और शिवपाल के भी काफी घनिष्ठ माने जाते हैं।

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