योगी सरकार जल्द ही कई आयोगों का करेगी पुनर्गठन

यूपी के चार बड़े आयोगों की सदस्यों की सीटें इस वक्त रिक्त हैं। जिसकी वजह से कामकाज सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है।

स्टार एक्सप्रेस

लखनऊ. यूपी की योगी सरकार जल्द ही कई आयोगों का पुनर्गठन करने जा रही है। राज्य सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेन्द्र सिंह के कार्यकाल सम्भालने के बाद अब पार्टी कार्यकर्ताओं में भी इन आयोगों में जगह पाने की उम्मीद बढ़ चली है।

इनमें उ.प्र.राज्य अनुसूचित जाति आयोग, उ.प्र.राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उ.प्र.राज्य महिला आयोग और उ.प्र.राज्य सफाई कर्मचारी आयोग शामिल हैं। उ.प्र. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में चेयरमैन जसवंत सैनी ने इस साल 25 मार्च को राज्य मंत्रिमण्डल में शामिल किए जाने के बाद आयोग के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद उपाध्यक्ष हीरा ठाकुर और प्रभुनाथ चौहान का कार्यकाल भी क्रमश: 17 व 20 जून को खत्म हो गया। बाकी 25 सदस्यों का कार्यकाल भी अलग-अलग तिथियों में समाप्त हो चुका है। पिछले कई महीनों से इस आयोग में सुनवाई ठप है। सरकार इस आयोग के चेयरमैन, उपाध्यक्षों व सदस्यों को एक साल के लिए नामित करती है, उसके बाद सरकार उचित समझती है तो इनका कार्यकाल आगे बढ़ाया जाता है अन्यथा पूरे आयोग का पुनर्गठन कर दिया जाता है।

महिला आयोग के सदस्य का कार्यकाल हो चुका है पूरा

उ.प्र.राज्य महिला आयोग का कार्यकाल छह अगस्त को पूरा हो चुका है। इस आयोग में चेयरमैन, दो उपाध्यक्ष और 25 सदस्य एक साल के लिए नामित किए जाते हैं। राज्य सरकार ने विमला बाथम को इस आयोग का चेयरमैन बनाया था। कार्यकाल पूरा होने के बाद अब इस आयोग के पदाधिकारियों का भी या तो कार्यकाल आगे बढ़ेगा या फिर पुनर्गठन किया जाएगा।

उ.प्र.राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग में आगरा के डा. रामबाबू हरित को एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद इसी साल 17 जून को उन्हें हटना पड़ा था। उसके बाद इस आयोग के भी दो उपाध्यक्ष व 16 सदस्यों का एक साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। जल्द ही इस आयोग का भी पुर्नगठन होगा।

इस आयोग में भी तीन महीने से सुनवाई ठप चल रही है। कहने को समाज कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण इस आयोग के कार्यवाहक चेयरमैन बनाये गये हैं, लेकिन कामकाज की व्यवस्था की वजह से वह आयोग को समय नहीं दे पाते। वहीं उत्तर प्रदेश राज्य सफाई कर्मचारी आयोग का तीन साल का कार्यकाल इस साल नौ मार्च को खत्म हो चुका है। प्रदेश सरकार ने 2019 में इसका गठन किया था। इस आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और चार सदस्य नामित किये जाते हैं।

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