WEATHER UPDATE : सितंबर में मध्य भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश होने के आसार

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : भारत में इस साल कमोबेश मॉनसून मेहरबान है। मौसम विभाग की मानें तो सितंबर महीने में भारत में औसत से अधिक बारिश हो सकती है। नई दिल्ली स्थित मौसम कार्यालय ने बुधवार को बताया कि भारत में सितंबर में औसत से अधिक बारिश होने की संभावना। इससे उन लाखों किसानों की मदद होगी, जिन्हें जुलाई और अगस्त में कम बारिश का सामना करना पड़ा है। जून में औसत से 10 फीसदी अधिक मॉनसून की बारिश हुई थी। अगस्त माह के दौरान सामान्य से 24 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई थी।

 

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मौसम के महत्वपूर्ण मानकों के अनुसार इस साल सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सितम्बर में मध्य भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। मॉनसून की कमी अब नौ प्रतिशत रह गई है और सितम्बर के दौरान अच्छी वर्षा होने से इसमें और कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि अगस्त से पहले, जून में भी सात प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई थी।

 

 

 

सितम्बर में मध्य भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। मॉनसून की कमी अब नौ प्रतिशत रह गई है और सितम्बर के दौरान अच्छी वर्षा होने से इसमें और कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि अगस्त से पहले, जून में भी सात प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई थी। भारत का मौसम विभाग यानी आईएमडी 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच हुई बारिश को औसत या सामान्य मॉनसून के रूप में परिभाषित करता है और जिसकी शुरुआत जून में मानी जाती है जो चार महीने तक रहता है।

 

 

 

3 जून को केरल के सबसे दक्षिणी तट से टकराने के बाद मॉनसून उम्मीद से लगभग 15 दिन पहले महीने की पहली छमाही के अंत तक भारत के दो-तिहाई हिस्से में फैल गया था और फिर जून के तीसरे सप्ताह में यह कम हो गया। मॉनसून के कुछ समय तक बेहद सक्रिय होने के बावजूद जुलाई और अगस्त में मॉनसून की बारिश कमजोर बनी रही।

 

 

 

महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि चूंकि जुलाई और अगस्त में मानसून अनिश्चित हो गया था, जून में चार महीने की बारिश का मौसम शुरू होने के बाद से भारत की कुल बारिश औसत से 9% कम थी। जून में मौसम विभाग ने कहा था कि भारत में इस साल औसत मॉनसून बारिश होने की संभावना है, जिससे कोरोना संक्रमण की विनाशकारी दूसरी लहर के बीच बड़े कृषि उत्पादन की उम्मीदें बढ़ गई थीं।

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