सरकार का फैसला, यूपी में अब सैर सपाटे के साथ दी जाएगी ऐतिहासिक जानकारी

उत्तर प्रदेश में अब पर्यटन केवल सैर-सपाटे तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। इसके साथ यूपी की सम्पन्न विरासत का ज्ञान भी दिया जाएगा।

स्टार एक्सप्रेस

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अब पर्यटन केवल सैर-सपाटे तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। इसके साथ यूपी की सम्पन्न विरासत का ज्ञान भी दिया जाएगा। यह अथातो घुमक्कड़ी जिज्ञासा को चरितार्थ करेगा। यूपी की भौगोलिक जानकारियों के साथ यहां की सम्पन्न विरासत से भी पर्यटकों को परिचित कराया जाएगा। पर्यटकों को अब महाभारत काल से लेकर जंग-ए-आजादी तक की जानकारियां दी जाएंगी। प्रदेश सरकार ने अब भुला दिये गये बिजली पासी और सुहेलदेव से जुड़े स्थलों को भी विकसित करना शुरू कर दिया है।

पर्यटन के साथ दी जाएगी इतिहास की जानकारी

ऐतिहासिक विरासत के लिहाज से यूपी बेहद सम्पन्न है। महाभारत काल से लेकर जंगे आजादी तक की विरासत, प्रदेश में कई जगहों पर सिलसिलेवार विस्तार से मिल जाएंगी। खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी की धरती बुंदेलखंड खुद में शौर्य एवं संस्कार का पर्याय है। इस सूखे इलाके में चंदेल राजवंशों के जमाने में बने कभी न सूखने वाले खूबसूरत एवं पक्के चरखारी (महोबा) के तालाब, कालिंजर (बांदा) का किला, झांसी, देवगढ़ और ललितपुर की हेरिटेज साइट्स भी देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं।

ऐतिहासिक विरासतों को समेटे है यूपी

चंद्रकांता की लोकप्रिय कहानियों का केंद्र और 16वीं सदी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा अपने भाई भरथरी की याद में बनवाया गया मीरजापुर जिले का चुनार किला भी लोगों को आकर्षित करने वाला है। इतना ही नहीं, हस्तिनापुर, काम्पिल्य (फरुर्खाबाद), बर्नवा (बागपत), मथुरा, कौशांबी, गोंडा और अहिच्छत्र आदि जगहों पर महाभारत काल की स्मृतियां संजोई गई है।

पर्यटकों को लुभाने के लिए कदम

प्रदेश के नियोजित विकास के लिए साल 2018 में बनी टूरिज्म पालिसी में बुंदेलखंड और महाभारत सर्किट में भी इन सब स्थानों का जिक्र है। सरकार चाहती हैं कि इन जगहों पर पर्यटकों की सुविधा के लिहाज से बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएं। इनकी ब्रांडिंग कर अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों को लुभाने के प्रयास भी जारी हैं।

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विकसित की जाएगी एतिहासिक विरासत

राज्य की संपन्न विरासत से जुड़े कुछ ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्हें इतिहास में स्थान ही नहीं मिला। लेकिन उनकी कर्मभूमि में वे आज भी याद किये जाते हैं। शायद तत्कालीन इतिहासकारों ने साजिशवश या जान-बूझकर इन्हें पन्नों में स्थान देना मुनासिब नहीं समझ था। अब ऐसी जगहों का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति लगेगी

भाजपा के संकल्पपत्र 2022 में भी लखनऊ स्थित महाराज बिजली पासी किले को लाइट एंड साउंड जैसी सुविधाओं के जरिए विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का जिक्र है। बहराइच के राजा महाराजा सुहेलदेव की याद में भव्य स्मारक बनाने की बात भी कही जा चुकी है। आगरा में छत्रपति शिवाजी के स्मारक का निर्माण भी अपनी संपन्न विरासत और इतिहास को भावी पीढ़ी को बताने का ही हिस्सा है।

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम का कहना है कि इन जगहों पर पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा के मद्देनजर बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के काम जारी हैं। मसलन, महाराजा सुहेलदेव के शौर्य एवं पराक्रम की याद करने के लिए लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत से काम चल रहा है। इसमें 40 फीट ऊंची घोड़े पर सवार महाराज सुहेलदेव की कांसे की प्रतिमा शामिल है। महाराजा बिजली पासी के किले के लिए प्रस्तावित लाइट एंड साउंड शो के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट का गठन भी प्रोसेस में है। यूपी में अब सैर सपाटे के साथ दी जाएगी ऐतिहासिक विरासत की जानकारी, सरकार की अनोखी पहल

 

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