अखिलेश ने केंद्र सरकार पर जमकर साधा निशाना, कहा- ‘अगर सब बाजार पर निर्भर है तो भंग कर दें मंत्रालय’
ईंधन के बढ़ते दामों को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
स्टार एक्सप्रेस
. ईधन के बढ़ते दाम पर अखिलेश का सवाल
.पेट्रोल, डीजल, गैस का मंत्रालय किस लिये बनाया गया
. डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी
लखनऊ. ईंधन के बढ़ते दामों को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ बाजार के हवाले है तो फिर पेट्रोल, डीज़ल, गैस का मंत्रालय किस लिए बनाया गया है। उन्होंने ट्वीट कर सरकार पर तंज कसा है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘ईंधन के बेतहाशा बढ़ते दामों पर जब न कोई सरकारी नियंत्रण, न शासन, न प्रशासन, न प्रबंधन, न ही नियमन है और अगर सब कुछ बाज़ार के हवाले ही है तो फिर पेट्रोल, डीज़ल, गैस का मंत्रालय किस लिए इस मंत्रालय को तत्काल भंग कर देना चाहिए! भाजपाई-महंगाई जनता को निरंतर ईंधन से निर्धन कर रही है।
ईंधन के बेतहाशा बढ़ते दामों पर जब न कोई सरकारी नियंत्रण, न शासन, न प्रशासन, न प्रबंधन, न ही नियमन है और अगर सब कुछ बाज़ार के हवाले ही है तो फिर पेट्रोल, डीज़ल, गैस का मंत्रालय किसलिए। इस मंत्रालय को तत्काल भंग कर देना चाहिए!
भाजपाई-महंगाई जनता को निरंतर ईंधन से निर्धन कर रही है। pic.twitter.com/B1o1dpB2Af
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 9, 2022
सरकार ने एक अप्रैल से प्राकृतिक गैस की कीमतों को दोगुना से अधिक कर 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (प्रति इकाई) कर दिया है। इसके बाद सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में वृद्धि हुई है। सीएनजी की कीमतों में यह वृद्धि पिछले 16 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी और रसोई गैस एलपीजी की दरों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि के बाद हुई है।
क्या महंगा होगा कर्ज?
आरबीआई के मुताबिक, 2022-23 की पहली तिमाही में महंगाई दर 6.3 फीसदी, दूसरी तिमाही में 5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है। महंगाई बढ़ने का सीधा असर ब्याज दरों पर पड़ता है. कोरोना महामारी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेज रिकवरी की तो उसकी बड़ी सस्ता कर्ज है।
जिसके चलते देश में घरों की मांग ले लेकर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कारें एसयूवी की मांग बढ़ी जिसका सीधा फायदा अर्थव्यवस्था पर पड़ा। लॉकडाउन के बाद लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद मिली। लेकिन खुदरा महंगाई बढ़ी तो कर्ज भी इसके चलते महंगा होगा जिसका दुष्प्रभाव अर्थव्यवस्ता पर पड़ सकता है। यही वजह है कि आरबीआई का फोकस आर्थिक विकास को गति देने से ज्यादा महंगाई पर काबू पाने पर रहने वाला है।