UP के स्कूल में बच्चों को इस्लामिक टोपी पहनने के फरमान पर हुआ विवाद

प्रयागराज के झूंसी के इस सीबीएसई स्कूल में एसाइनमेंट के तौर पर इस्लामिक टोपी पहनने के मसले पर विवाद हो गया है।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनने का विवाद अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ कि यूपी में सीबीएसई बोर्ड के एक स्कूल (CBSE) में बच्चों को ईद के मौके पर इस्लामिक टोपी पहनने के फरमान ने नया विवाद पैदा कर दिया है। न्याय नगर पब्लिक स्कूल प्रशासन के फरमान ने कैम्पस से लेकर सड़कों और सोशल मीडिया तक कोहराम मचा दिया है। कई अभिभावकों ने इस पर आपत्ति जताई है तो वहीं हिंदूवादी संगठन इसके विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। जबकि स्कूल प्रशासन ने सफाई दी है कि जो कुछ हो रहा है, वह संविधान के दायरे में हैं।

सीएम तक पहुंची शिकायत –

विवादित स्कूल की प्रिंसिपल इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखती हैं, लिहाजा यह मामला और भी सुर्ख़ियों में है। मामले को लेकर कई लोगों ने सीएम और डिप्टी सीएम तक से ट्वीट के ज़रिये शिकायत की है। मामले के तूल पकड़ने के बाद अब जांच के आदेश दे दिए गए हैं। सरकारी अमले ने अपनी जांच शुरू भी कर दी है, लेकिन अफसरान फिलहाल पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

क्या है मामला –

यह विवादित मामला संगम नगरी प्रयागराज के झूंसी इलाके में संचालित न्याय नगर पब्लिक स्कूल से जुड़ा हुआ है। स्कूल ने दो दिन पहले एक मैसेज जारी किया, जिसमे यह कहा गया कि नर्सरी से यूकेजी में पढ़ने वाले सभी बच्चे कुर्ता – पायजामा और ईद की टोपी पहनकर हैप्पी ईद बोलते हुए अपना बीस सेकेंड का वीडियो बनाएंगे और इसे स्कूल ग्रुप पर अपलोड करेंगे।

सभी बच्चों को दिए गए थे असाइनमेंट –

पहली से बारहवीं क्लास तक के बच्चों को भी ईद के टॉपिक पर अलग -अलग प्रोजेक्ट वर्क दिए गए थे। बच्चों से यह कहा गया था कि कुर्ता -पायजामा और टोपी व दूसरी ड्रेस पहनने वालों को सर्टिफिकेट व ईनाम दिए जाएंगे तो साथ ही इसे एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी मानते हुए छमाही इम्तहान में एक्स्ट्रा नंबर भी दिए जाएंगे। मैसेज भेजने के साथ ही इसका नोटिस भी जारी किया गया था।

इस वजह से हुआ विवाद –

बाकी ड्रेस व दूसरे प्रोजेक्ट वर्क तो ठीक थे, लेकिन छोटे बच्चों को कुर्ता -पायजामे के साथ ही ईद की टोपी पहनने के फरमान पर तमाम लोगों को एतराज़ था। उनका मानना था कि ईद की टोपी एक धर्म विशेष की पूजा पद्धति का हिस्सा है, लिहाजा इसे दूसरे धर्म के बच्चों पर कतई थोपा नहीं जा सकता। अभिभावक तो खुलकर अपना विरोध नहीं जता पाए, लेकिन तमाम दूसरे लोगों ने इस फरमान को सोशल मीडिया पर वायरल कर उस पर बहस शुरू कर दी। कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत ट्वीट के ज़रिये सीएम -डिप्टी सीएम व कई मंत्रियों के साथ ही प्रयागराज के अफसरों से की।

होगी मामले की जांच –

मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने लगा तो प्रयागराज पुलिस ने ट्विटर पर ही मैसेज डालकर इस मामले की जांच कराए जाने की बात कही. फूलपुर तहसील के एसडीएम और स्थानीय झूंसी थाने की पुलिस मामले की जांच के लिए आज स्कूल भी पहुंची लेकिन इस मामले में आला अफसरों ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

क्या कहना है प्रिंसिपल का –

स्कूल की प्रिंसिपल डा. बुशरा मुस्तफा ने सफाई देते हुए पूरे विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि स्कूल में सभी धर्मों के त्यौहारों को सभी बच्चे मिल-जुलकर मनाते हैं। इन दिनों बोर्ड के इम्तहान चल रहे हैं, लिहाजा बच्चों को ऑनलाइन पार्टिसिपेट करने को कहा गया। इसके पीछे मकसद बच्चों को दूसरे मज़हब के कल्चर से भी रूबरू कराना था। इसके ज़रिये बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है।

धर्म के नजरिये से न देखें –

उनके मुताबिक़ इसे धर्म के नज़रिये से कतई नहीं देखना चाहिए, क्योंकि वह रोज़ाना सभी बच्चों को गायत्री मंत्र का जाप कराती हैं तो साथ ही उनके स्कूल में विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर भी बना हुआ है। प्रिंसिपल डा. बुशरा ने इस मामले में सवाल खड़े करने वालों को नसीहत दी है तो साथ ही अभिभावकों से भी साथ देने की अपील की है।

असाइनमेंट नही है अनिवार्य –

मामले के तूल पकड़ने के बाद प्रिंसिपल ने सभी अभिभावकों को एक मैसेज भेजा है, साथ ही कुर्ता -पायजामा और ईद की टोपी पहनने की अनिवार्यता ख़त्म करते हुए कहा है कि यह कतई ज़रूरी नहीं है। जो इसे करना चाहे करे, जिसे गलत लगता है वह छोड़ दे उन्होंने कहा कि इस कांपटीशन के नंबर भी रिपोर्ट कार्ड पर नहीं दिए जाएंगे।

 

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