सेना के जवान का राजनीति में आने तक के सफर पर एक नजर, फौजी तेजबहादुर पर देखिए यह रिपोर्ट

अंकुश यादव/हार्दिक यादव.

वाराणसी से फौजी तेजबहादुर यादव का नामांकन भले ही किन्हीं कारणों से रद्द कर दिया गया हो लेकिन एक बार वह फिर से सुर्खियों में छाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस राष्ट्रवाद और सेना के नाम पर वोट मांगते हैं वही सेना से बर्खास्त जवान तेजबहादुर के उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की बात इस बार उनके चर्चा में आने की वजह बनी।

उनके समर्थन में पूरे देशभर में एकजुटता भी दिखी और लोगों ने इसे असली चौकीदार बनाम नकली चौकीदार की लड़ाई के रूप में देखा। ऐसे में सेना के जवान का राजनीति में आने तक के सफर पर डालते है एक नजर…

हरियाणा के रेवाणी से ताल्लुक रखने वाले फौजी तेजबहादुर इससे पहले उस समय सुर्खियों में आये जब उन्होंने सेना को परोसे जाने वाले खाने की खराब गुणवत्ता को लेकर वीडियो बनाते हुए सवाल खड़ा कर दिया था। वीडियो के वायरल होने के बाद सेना की छवि धूमिल करने के आरोप में उन्हें बर्खास्त कर दिया था और गृह मंत्रालय ने इसकी जांच के आदेश भी दिये थे। तेजबहादुर ने न केवल अपनी नौकरी खोई बल्कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे अपने बेटे को भी खो चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फर्जी राष्ट्रवाद और सेना के राजनीतिकरण करने से क्षुब्ध होकर तेजबहादुर ने मार्च 2019 में राजनीति में सक्रिय भागीदारी दिखाते हुए उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। जिस सेना और राष्ट्रवाद के नाम पर मोदी लोगों से वोट मांगते हुए नजर आते हैं उसी सेना के जवान तेजबहादुर के उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से पूरे देश में गहमागहमी बढ़ गई। जिसके बाद से पूरे देश से उन्हें समर्थन भी मिलने लगा। सामाजिक संगठन यादव सेना के अलावा अन्य ने उनका खुला समर्थन कर दिया।

तेजबहादुर ने बातचीत में बताया कि यादव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार यादव व प्रदेश अध्यक्ष रणधीर यादव के नेतृत्व में 5 अप्रैल को वह बनारस आये। उसके बाद से लगातार डोर टू डोर प्रचार प्रारम्भ कर दिया। 24 मार्च को तेजबहादुर ने वाराणसी से निर्दलीय नामांकन कर नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती तक दे डाली और चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुट गए।

उन्होंने बताया कि मीडिया और सोशल मीडिया में असली चौकीदार और नकली चौकीदार के बीच चुनाव प्रतिद्वंदिता की बात सामने आने के बाद से लगातार पूरे देश से जनसमर्थन मिला और लोगों ने उत्साहित भी किया। अंततः उत्तर प्रदेश में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तेजबहादुर को वाराणसी से महागठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में तेजबहादुर के आने के बाद उनके और नरेंद्र मोदी को लेकर सियासी गलियारी में हलचल सी मच गई और लोग इसे असली चौकीदार बनाम नकली चौकीदार के रूप में देखने लगे। फिर न केवल सामाजिक संगठनों ने बल्कि आम आदमी पार्टी समेत कई राजनैतिक पार्टियों ने भी तेजबहादुर के साथ खड़े दिखे।

हांलाकि कुछ वहजों से तेजबहादुर का नामांकन रद्द कर दिया जिसे उन्होंने उनके खिलाफ साजिश बताया और लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। आज भले ही तेजबहादुर का नामांकन रद्द हो गया है लेकिन उनका कहना है कि फर्जी राष्ट्रवाद और सेना के नाम पर वोट मांगने वालों के खिलाफ वह हमेशा लड़ते रहेंगें।

 

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