यह है ऐसा मंदिर जिसने एप्पल और फेसबुक को बर्बादी से बचाया

डेस्क. जहां एक तरफ विज्ञान और तकनीक का विकास तेजी से हो रहा है वहीं दूसरी तरफ अब भी कुछ न कुछ ऐसी अदृश्य शक्ति जरूर है जहां तक इनकी भी पहुंच अभी तक नहीं हो पा रही है। ऐसा ही है एक दृश्य या अद्भुत शक्ति नैनीताल के मंदिर में भी देखा जा सकता है जिसने एप्पल और फेसबुक को भी बर्बाद होने से बचा लिया।

नैनीताल के निकट कैंची में नीम करौली माता का बड़ा ही प्रसिद्ध मंदिर और नीम करौली बाबा का आश्रम बना हुआ है। ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है, लेकिन 2017 में यह जगह तब कुछ ज्यादा ही सुर्ख़ियों में आई थी जब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान इस जगह का जिक्र किया औऱ अपने यहां आने की बात बताई।

जुकरबर्ग ने मोदी को बताया कि जब फेसबुक बुरे दिनों से गुजर रहा था तब वो कैसे भारत के इस मंदिर में गए थे और वहां से प्रेरणा रुपी शक्ति लेकर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। साथ ही जुकरबर्ग ने ये भी बताया कि वो इस मंदिर में एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स के कहने पर गए थे।

चमत्कारी है यहां का मंदिर
नैनीताल के भवाली-अल्मोड़ा हाई-वे पर बने कैंची धाम मंदिर में हर साल देश और दुनिया से लाखों लोग पहुंचते हैं। यहां पर हनुमान जी का मंदिर है। आश्रम का नाम यहां के पुजारी स्वर्गीय नीम करौली बाबा के नाम पर पड़ा है।

बाबा के चमत्कार के किस्सों से ये पूरा इलाका भरा पड़ा है। बताते हैं कि वो खुद गायब और प्रगट हो सकते थे। साथ ही उन्हें आने वाली मुसीबत का पहले पता चल जाता था।

करौली बाबा
यहां के लोग बताते हैं कि नीम करौली बाबा दिव्य शक्तियों वाले संत थे। उन्हें हनुमान जी की सिद्धि मिली हुई थी और वो त्रिकाल के दर्शन कर सकते थे। 1973 में उनका निधन हो गया था। नीम करौली बाबा को पहले पंडित नारायण के नाम से जाना जाता था। उनके भक्तों में कई बड़े नेता भी शामिल रहे हैं।

दुनियाभर से कई विदेशी नागरिक भी बाबा के आश्रम में आते रहते थे। स्टीव जॉब्स और मार्क ज़ुकरबर्ग के अलावा हॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करौली बाबा की भक्त रही हैं।

संन्यास लेने आए थे स्टीव जॉब्स
स्टीव जॉब्स 1973 में संन्यास लेने के उद्देश्य से यहां इस मंदिर पर बाबा के पास पहुंचे थे। उनके साथ उनके एक दोस्त डैन कोटके भी थे। वो यहां नीम करौली बाबा से मिलना चाहते थे, लेकिन उनके पहुंचने के कुछ समय पहले ही बाबा का देहांत हो चुका था। यहां रहकर स्टीव जॉब्स ने कुछ दिनों तक ध्यान-आराधना की।

यहीं से उन्हें ये प्रेरणा मिली कि संन्यास लेने के बजाय अपने देश अमेरिका लौटकर नई कंपनी बनानी चाहिए। यहां से जाने के बाद जॉब्स ने एप्पल कंपनी बनाई। ये कंपनी आज टेक्नोलॉजी की दुनिया का सबसे शानदार नाम मानी जाती है। स्टीव जॉब्स जिंदगी भर नीम करौली बाबा के भक्त रहे। कहते हैं कैंसर से मौत के वक्त भी उनके तकिए के नीचे बाबा की तस्वीर रखी मिली थी।

ज़ुकरबर्ग को भी मुसीबत से निकाला
2004 में मार्क ज़ुकरबर्ग की कंपनी फेसबुक बेहद संकट से गुजर रही थी और इसके बिकने की नौबत आ चुकी थी। परेशान ज़ुकरबर्ग ने अपने गुरु स्टीव जॉब्स से सलाह मांगी। उन्हें बहुत हैरत हुई क्योंकि जॉब्स ने उनसे कहा कि वो कुछ दिन भारत में जाकर इस मंदिर में वक्त बिताएं। जुकरबर्ग भारत आए और इसी मंदिर से उन्हें ऐसी शक्ति मिली जिससे आगे चलकर आज उन्होंने पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह आपस में जोड़ दिया।

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