मैराथन चर्चा के बाद ट्रिपल तलाक बिल पर हुआ ये फैसला
लोकसभा में पांच घंटे की मैराथन चर्चा के बाद ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 245 जबकि विरोध में 11 वोट पड़े. कांग्रेस पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने मांगे नहीं मानने के कारण सदन से वॉकआउट किया. ट्रिपल तलाक बिल भले ही लोकसभा से पास हो गया हो मगर कानून बनाने के लिए राजयसभा में भी पास कराना होगा. बीजेपी के पास उच्च सदन में बहुत नहीं नहीं ऐसे में यह बाधा पार करना गवर्नमेंट के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
प्रवर समिति को भेजने की मांग पर अड़ा विपक्ष
विपक्षी दल राज्यसभा में अपने संख्या बल के आधार पर इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के बारे में निश्चिंत हैं. एक वरिष्ठ कांग्रेस पार्टी नेता का कहना था कि राज्यसभा के काम करने के नियम संख्या 125 के मुताबिक यदि कोई सदस्य एक प्रस्ताव लाता है तो बहुमत के आधार पर उसे पारित किया जा सकता है.
आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह का कहना था कि जब सुप्रीम न्यायालय ने तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दे दिया है तो बीजेपी उसे आपराधिक काम बनाने पर क्यों तुली है.क्या वह दूसरे धर्मों के तलाक को भी आपराधिक श्रेणी में लाएगी? तलाक के क्राइम बनाने के बाद पति-पत्नी का दोबारा साथ आना असंभव हो जाएगा.
पहले भी राज्यसभा में अटक चुका है विधेयक
यह पहली बार नहीं जब गवर्नमेंट ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर माथापच्ची कर रही है. इससे पहले गवर्नमेंट पिछले वर्ष दिसंबर महीने में भी बिल लाई थी, जो राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण अटक गया था. विपक्ष की नाराजगी को दूर करने के लिए गवर्नमेंट ने इस वर्ष सितंबर में विपक्ष के कुछ सुझावों को शामिल करते हुए अध्यादेश जारी किया था.
वर्तमान का संसोधित ट्रिपल तलाक विधेयक, अध्यादेश व पुराने बिल की स्थान लेगा.