मेघालय हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने कहा, कोई भी हिंदुस्तान को इस्‍लामिक राष्ट्र बनाने की प्रयास न करे

‘मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि कोई भी इस राष्ट्र को दूसरा इस्लामिक राष्ट्र बनाने की प्रयास न करे नहीं तो यह भारत और संसार के लिए एक कयामत का दिन होगाहालांकि हमें पूरा विश्वास है कि इसकी गंभीरता को समझते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सिर्फ यह गवर्नमेंट  राष्ट्रीय हितों का समर्थन करते हुए हमारे राज्‍य की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ऐसा नहीं होने देंगी” ये बातें मेघालय हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर सेन ने एक याचिका का निपटारा करते हुए अपने निर्णय में कहीं

दरअसल, न्यायमूर्ति एसआर सेन ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट से मना किए जाने पर याचिकाकर्ता अमन राणा की ओर से दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए 37 पन्‍नों में अपना निर्णय दिया

अपने निर्णय में जस्टिस सेन ने आगे बोला कि पाक ने खुद को एक इस्लामी राष्ट्र घोषित कर दिया  धर्म के आधार पर हिंदुस्तान का विभाजन हुआ  जिस तरह पाकिस्‍तान ने खुद को इस्‍लामिक राष्ट्र घोषित किया, उसी तरह हिंदुस्तान को भी खुद को हिंदू राष्‍ट्र घोषित करना चाहिए था, लेकिन धार्मिक आधार पर विभाजन होने के बावजूद हिंदुस्तान धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में बना रहा

जस्टिस सेन ने अपने निर्णय में राष्‍ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) पर भी सवाल उठाते हुए बोला कि ‘मैं यह भी उल्लेख करता हूं कि वर्तमान में एनआरसी प्रक्रिया मेरे विचार में दोषपूर्ण है, क्योंकि कई विदेशी इंडियन बन जाते हैं  मूल हिंदुस्तानियों को छोड़ दिया जाता है, जो बहुत दुख की बात है’

इसके साथ ही उन्‍होंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री  विधि मंत्री से एक कानून लाने का अनुरोध किया है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश  अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, खासी, जयंतिया  गारो लोगों को बिना किसी सवाल या दस्तावेजों के नागरिकता मिले इसके लिए न्‍यायमूर्ति ने असिस्‍टेंट सॉलिसिटर जनरल ए पॉल को निर्णय की प्रति पीएम, गृह मंत्री  विधि मंत्री को जल्‍द से जल्‍द सौंपने के आदेश भी दिए

जस्टिस सेन ने उम्‍मीद भी जताते हुए बोला कि हिंदुस्तान गवर्नमेंट ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में इस निर्णय का ख्याल रखेगी  इस राष्ट्र  उसके लोगों को बचाएगी

आदेश में यह भी बोला गया है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाक में आज भी हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी, खासी, जयंतिया  गारो लोग प्रताड़ित होते हैं  उनके लिए कोई जगहनहीं है

केंद्र के नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाक के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी  ईसाई लोग छह वर्ष रहने के बाद इंडियन नागरिकता के हकदार हैं, लेकिन अदालती आदेश में इस विधेयक का जिक्र नहीं किया गया है

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