प्रियंका की मध्यस्ता पर सिद्धू से मुलाकात के लिए तैयार हुए राहुल गांधी

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की कांग्रेस इकाई में सत्ता संघर्ष जारी है। इस बीच खबर है कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नवजोत सिंह सिद्धू से मिलने के लिए कथित तौर पर राजी किया था। समाचार एजेंसी एएनआई ने शीर्ष सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सिद्धू और राहुल गांधी के बीच बैठक पर तब तक अंतिम फैसला नहीं हुआ जब तक प्रियंका ने पहल नहीं की और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को सिद्धू से मिलने के लिए मना नहीं किया गया। अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की पंजाब इकाई में चल रही तनातनी के बीच सिद्धू ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की।

 

 

 

 

सिद्धू और राहुल गांधी के बीच 45 मिनट से अधिक समय तक चली बैठक को पंजाब कांग्रेस में सुलह की बैठक के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले दिन में सिद्धू ने प्रियंका से उनके आवास पर मुलाकात की। इसके बाद वह राहुल गांधी और पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिए उनके आवास पर गईं। इस बीच सिद्धू, प्रियंका के लौटने तक उनके आवास पर इंतजार करते रहे।

 

 

 

 

सिद्धू का राहुल गांधी से मिलने का मतलब यह है कि वह सुलह के लिए राजी हो गए हैं और आलाकमान का प्रस्ताव उन्हें मंजूर है। इस प्रस्ताव पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। इस बात को लेकर भी असमंजस है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके लिए राजी होंगे या नहीं। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ नेताओं का पक्ष को सुनने के लिए सोनिया गांधी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जिसने सिद्धू समेत पंजाब के सभी विधायकों, सांसदों से राय मांगी। सीएम अमरिंदर सिंह दो बार कमेटी के सामने पेश हो चुके हैं। समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंप चुकी है।

 

 

 

 

तमाम कवायद के बाद कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री को गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले समेत कुल 18 मुद्दों पर तय समय सीमा के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। चुनाव में चंद महीने बचे हैं, ऐसे में कैप्टन अमरिंदर खुद सिद्धू से टकराव नहीं चाहते लेकिन उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देने के खिलाफ भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के नेता भी सिद्धू को अमरिंदर सिंह का विकल्प बनाने के समर्थन में नहीं हैं। ऐसे में ऐसा लगता है कि सिद्धू के पास कांग्रेस में बने रहने और सीएम के साथ अपने मसले सुलझाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

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