पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर बोले सीएम योगी- अटल जैसा विराट व्यक्तित्व मिलना कठिन

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को प्राथमिकता देने वाले, विकास दृष्टा, भारतीय राजनीति के शलाका पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन भारत की राजनीति के महायुग का अवसान है। वह लोकप्रिय और सर्वमान्य नेता थे, जिनका सभी सम्मान करते थे। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में अटल जैसा विराट व्यक्तित्व मिलना कठिन है।

सीएम का शोक संदेश

गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था। अटल के स्वर्गवास से भारत माता ने अपना एक महान सपूत खो दिया है। उनके निधन से राष्ट्र की क्षति की भरपाई कठिन है। मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी के साथ सार्वजनिक जीवन में सहभागी होने और संसद में कार्य करने का अवसर मिला। उप्र से उनके निकट संबंध का उल्लेख करते हुए योगी ने यहां से उनकी राजनीतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कहा, राजनीति को समावेशी स्वरूप प्रदान करते हुए देश में व्याप्त राजनीतिक अस्थिरता के माहौल को स्थायित्व में परिवर्तित करने के साथ ही अटल ने आधारभूत ढांचे के विकास और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुआयामी कार्य किये।

अटलजी का कृतित्व याद किया

अटलजी के शासन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को मूर्तरूप मिला, जिसके कारण देश के ग्रामीण इलाके पक्के मार्गों से जुड़ पाये। उनके द्वारा लागू की गई स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने भारत के विकास के बड़े द्वार खोले। परमाणु शक्ति का परीक्षण कर अटल ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित किया और कारगिल विजय भी उन्होंने दिलाई। योगी ने कहा, राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं के दृष्टिगत उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया था। अटल ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मार्गदर्शन में राष्ट्र सेवा के संस्कार ग्रहण किये थे।

छह दशक का निष्कलंक राजनीतिक जीवन

अटल जी का छह दशक का निष्कलंक राजनीतिक जीवन हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने राजनीति को मूल्यों और सिद्धांतों से जोड़कर देश में सुशासन की आधारशिला रखी थी। योगी ने कहा कि एक ओजस्वी वक्ता और प्रखर सांसद के रूप में अटल जी की विशिष्ट पहचान थी। भारतीय संसद की गौरवशाली परंपराओं को समृद्ध करने के लिए उनको सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी पुरस्कार दिया गया था। अटल बिहारी राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय थे।

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