पीएम मोदी ने चुनावी ऐलान से पहले ही प्रदेश में किए 15 कार्यक्रम

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. यूपी का यह चुनाव अब तक हुए सभी चुनावों से बिल्कुल अलग है। यह केवल सत्ताधारी भाजपा सहित दूसरे दलों के लिए अहम नहीं है, कई दूसरे मायनों में भी यह पहले के चुनाव से अलग है। यह चुनाव कोरोना महामारी की तीसरी लहर के साए में होने हैं, जिसका संक्रमण लगातार पांव पसार रहा है।

वहीं दूसरी ओर भाजपा और खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव बेहद अलहदा है क्योंकि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर ही गुजरता है। पीएम मोदी और भाजपा के लिए इस चुनाव की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि पार्टी ने प्रधानमंत्री सहित अपने सभी हैवीवैट चेहरे चुनाव के ऐलान से बहुत पहले ही मैदान में उतार दिए थे।

 

यह पहला चुनाव था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी ऐलान से पहले ही अक्तूबर के अंत से 28 दिसंबर के बीच 15 कार्यक्रम किए। अरबों रुपये की विकास परियोजनाओं के साथ ही पीएम ने प्रदेश के लगभग हर हिस्से में अपना चुनावी एजेंडा भी साफ किया। मोदी ने यहां विकास के साथ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद या यूं कहें कि हिन्दुत्व के एजेंडे को भी बखूबी प्रचारित किया।

 

एक ओर पीएम ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर एम्स और खाद कारखाना, सरयू नहर परियोजना, कानपुर मेट्रो के लोकार्पण के अलावा जाट राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय, यूपी के पहले खेल विश्वविद्याल सहित तमाम अन्य योजनाओं के शिलान्यास किए हैं। वहीं दूसरी ओर काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का लोकार्पण करके भगवा बिग्रेड के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को यूपी सहित पूरे देश में प्रचारित किया। इसके अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई अन्य हैवीवेट चेहरे यूपी को मथ चुके हैं।

यूं तो कोरोना के साए में बिहार, बंगाल सहित कई राज्यों के चुनावों हो चुके हैं लेकिन यह इस मायने में खास है कि यह पारंपरिक सभाओं, रोड शो और नुक्कड़ सभाओं के बिना होगा। देश के सबसे बड़े प्रदेश, जिसमें 403 विधानसभा सीटें हैं। जनता पिछले चुनावों में अपने नेताओं को करीब से देखती रही है। मगर पहला चुनाव है जो डिजिटल ढंग से लड़ा जाएगा। यह कितना कामयाब होगा, यह वक्त बताएगा। इस लिहाज से आने वाले चुनावों की दशा और दिशा भी तय करेगा।

 

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