पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से दे दिया त्याग पत्र
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उर्जित पटेल ने सोमवार को के गवर्नर पद से त्याग पत्र दे दिया। पटेल ने अपने इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत बताया है। लेकिन जानकार इसके पीछे कुछ व ही कारण बता रहे हैं। दरअसल पिछले बहुत ज्यादा दिनों से केंद्र गवर्नमेंट व भारतीय रिजर्व बैंक के बीच टकराव चल रहा था। इन विवादों के सामने आने के दौरान उस समय भी बीच-बीच में पटेल की इस्तीफे की अटकलें चल रही थी। लेकिन 19 नवंबर को हुई बोर्ड मीटिंग से पहले इन विवादों के निपटाने की बात कही गई थी। उर्जित पटेल ने सोमवार शाम को जैसे ही इस्तीफे की घोषणा की तो सब चौंक गए। ऐसे में जानकार उनके इस्तीफे के पीछे तीन अहम कारण मान रहे हैं। आइए नजर डालते हैं उन तीन अहम कारणों पर जिसकी वजह से ऐसा बोला जा रहा है कि उन्होंने त्याग पत्र दिया।
रिजर्व फंड
आरोप लग रहे हैं कि गवर्नमेंट की मंशा थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अपने रिजर्व से गवर्नमेंट को कुछ फंड दें। ऐसा राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए किए जाने की बात कही जा रही थी। हालांकि इस पर पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बयान के माध्यम से यह साफ किया था कि गवर्नमेंट को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिये रिजर्व बैंक अथवा किसी अन्य संस्था से कोई अलावा धन नहीं चाहिए।
11 बैंकों पर प्रतिबंध
रिजर्व बैंक ने बड़ा कर्ज बट्टे खाते में जाने के बाद 11 बैंकों को कर्ज देने व नयी ब्रांच खोलने से रोक दिया था। जबकि गवर्नमेंट की मंशा थी कि इनमें से कुछ बैंक फिर से कर्ज देना प्रारम्भकर दें। गवर्नमेंट की तरफ इस मामले पर लगातार दबाव बनाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बोला भी था कि भारतीय रिजर्व बैंक की आजादी को निर्बलकरने के परिणाम अच्छे नहीं होंगे। इसके बाद टकराव ने तूल पकड़ लिया था।
एनबीएफसी पर तनातनी
उर्जित पटेल के इस्तीफे का अंतिम व अहम कारण नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) माना जा रहा है। गवर्नमेंट चाहती थी कि नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए लोन देने की शर्तों को सरल किया जाए। लेकिन इस पर आबीआई का तर्क था कि इससे इससे डूबने वाला कर्ज बढ़ सकता है। गवर्नमेंट का मानना था कि लोन की शर्तों को सरल करने से मार्केट में खरीदारी में तेजी आएगी।