नहीं थम रहा अगस्त में निधन का सिलसिला, इन बड़े नेताओं का हुआ निधन

अगस्त 2018 भारत के नजरिये से अब तक कुछ खास अच्छा नहीं रहा है. कई बड़ी शख्सियत ने इस महीने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी से लेकर एम. करुणानिधि, सोमनाथ चटर्जी और अन्य बड़े नाम शामिल हैं. उनके जाने से एक रिक्त स्थान बन गया है. अगस्त में केरल में आई भयंकर बाढ़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई. जानते हैं ऐसे ही व्यक्तित्व को जिन्होंने अगस्त 2018 में अंतिम सांस ली.

1.पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को 93 साल की उम्र में एम्स में निधन हो गया. अटल बीजेपी की तरफ से पहले प्रधानमंत्री थे. वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने. पहली बार 13 दिन के लिए 1996 में, दूसरी बार 1998 से 1999 तक 13 महीने के लिए और तीसरी बार 1999 से 2004 तक पीएम रहे.2015 में अटल बिहारी वाजयेपी को भारत का सबसे बड़ा सिविलियन सम्मान भारत रत्न दिया गया था. उनकी श्रद्धांजलि सभा में दुनिया के कई नेताओं ने हिस्सा लिया. साथ ही लाखों लोगों ने अपने चहेते पीएम की अंतिम विदाई में भाग लिया.

2.एम. करुणानिधि
द्रमुक अध्यक्ष एम. करुणानिधि का 94 साल की उम्र में 8 अगस्त को निधन हो गया. वह 94 साल के थे. उनका जन्म 3 जून 1924 को हुआ था. 14 साल की उम्र में ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश कर लिया था. 1957 में 33 साल की उम्र में वह विधायक चुने गए और 1067 में पहली बार तमिलनाडु सरकार में मंत्री भी बने. भारतीय राजनीति में वह कलैनार नाम से मशहूर थे जिसका अर्थ होता है कलाकार. अपने 60 साल के सियासी करियर में वह कभी चुनाव नहीं हारे. वह पांच बार तमिलनाडु के सीएम रहे. वह जिस परिवार से आते हैं वह पारंपरिक रूप से वाद्ययंत्र ‘नादस्वरम’ बजाने का काम करता है. करुणानिधि को भी इसी परंपरा के अंतर्गत नादस्वरम सीखने के लिए भेजा गया. लेकिन वहां उन्होंने गुरु के जातिगत भेदभाव को महसूस किया. ये वो दौर था जब राज्य में ई वी रामास्वामी ‘पेरियार’ को सुनने की होड़ मची रहती थी. वह ‘आत्मसम्मान’ के नाम से एक आंदोलन चलाते थे जो कि गैर-ब्राह्मणवादी चीजों से प्रभावित था. इसी दौरान 14 साल की उम्र में करुणानिधि को भी पेरियार का एक भाषण सुनने का मौका मिला और वह उससे प्रभावित होकर उनके आंदोलन में कूद पड़े.

3.सोमनाथ चटर्जी
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और 10 बार सांसद रहे सोमनाथ चटर्जी का 13 अगस्त को निधन हो गया. लंबी बीमारी से जूझ रहे सोमनाथ चटर्जी ने कोलकाता के अस्पताल में अंतिम सांस ली. पीएम मोदी ने उन्हें भारतीय राजनीति का पुरोधा बताते हुए उनको श्रद्धांजलि दी थी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चटर्जी को अपने आप में एक संस्था बताते हुए कहा था कि उनका सभी पार्टियों के लोग बहुत अधिक सम्मान करते थे. दस बार लोकसभा के सांसद रहे चटर्जी माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य थे. वह 1968 में माकपा में शामिल हुए थे. माकपा के संप्रग-1 सरकार से समर्थन वापस ले लेने के बावजूद चटर्जी ने लोकसभा के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था. इस वजह से वरिष्ठ नेता को वर्ष 2008 में माकपा से निष्कासित कर दिया गया था.

4.आरके धवन
पूर्व केंद्रीय मंत्री और इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र रहे आर. के. धवन का 6 अगस्त को निधन हो गया. वह 81 साल के थे. आर के धवन ने अपना करियर इंदिरा गांधी के निजी सहायक के तौर पर 1962 से शुरू किया था और वह 1984 में इंदिरा की हत्या तक उनके साथ थे. वह इमरजेंसी के दौरान (1975-77) इंदिरा गांधी के सबसे खास लोगों में से एक थे. उस दौर में वह अंबिका सोनी और कमलनाथ जैसे नेताओं के साथ इंदिरा के पसंदीदा लोगों की लिस्ट में शामिल थे.
उन्होंने 75 साल की उम्र में साल 2012 में विवाह किया था.

5.गुरुदास कामत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदास कामत का 22 अगस्त को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 63 साल के थे. गुरुदास कामत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्‍य भी रह चुके थे. उन्हें राजीव गांधी का करीबी माना जाता था. वह उत्‍तर-पश्चिमी मुंबई से 2009 से 2014 तक सांसद भी रहे. इससे पहले वह नॉर्थ-ईस्‍ट मुंबई सीट से 1984, 1991, 1998 और 2004 में चुने गए. वह यूपीए सरकार में केंद्रीयमंत्री भी रह चुके हैं.
कामत मूल रूप से मुंबई के कुर्ला के रहने वाले थे. उनके पिता एक ऑटोमोबाइल कंपनी में कर्मचारी थे. बिना किसी राजनैतिक बैकग्राउंडे के होने के बावजूद कामत ने छात्र राजनीति और यूथ कांग्रेस से पार्टी में अपनी पहचान बनाई. वह मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं. मुंबई में कांग्रेस को खड़ा करने का श्रेय जाता है.

6.कोफी अन्नान
शांति के दूत संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव एवं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 80 वर्षीय कोफी अन्नान ने 18 अगस्त को अंतिम सांस ली. संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने गरीबी का मुकाबला करने, समानता को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों के लिए लड़ने में संयुक्त राष्ट्र को शक्त बनाया. वह ताउम्र इन समस्याओं को एकजुट होकर हल कर रहे देशों की आवाज बने रहे और इसके साथ ही वह बढ़ते राष्ट्रवाद को लेकर चिंतित भी रहे. कोफी अन्नान 1997 से 2006 तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पद पर काबिज रहे. अन्नान की सबसे बड़ी उपलब्धियां देशों के बीच असमानता को कम करने, संक्रामक रोगों से लड़ने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और नरसंहार सहित गृह युद्धों को रोकने के लिए कार्यक्रम एवं योजनाएं लाना था.

7.कुलदीप नैयर
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 23 अगस्त को निधन हो गया. वह 95 साल के थे. उन्होंने राजनीति से लेकर भारत-पाकिस्तान रिश्ते तक में कई चर्चित किताबें लिखी हैं. 14 अगस्त 1923 को जन्मे कुलदीप नैयर ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और ब्रिटेन में हाई कमिश्नर के तौर पर काम कर चुके हैं. वह साल 1997 में राज्यसभा के लिए भी नॉमिनेट हुए थे. मूल रूप से पंजाब के सियालकोट के रहने वाले नैयर के पिता सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता थे. कुलदीप स्टेट्समैन के दिल्ली एडिशन के एडिटर भी रह चुके हैं. इमरजेंसी के दौरान वह जेल तक गए थे. उन्हें पीस एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है. कुलदीप नैयर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर उर्दू प्रेस रिपोर्टर की थी. पत्रकारिता के अलावा वह बतौर एक्टिविस्ट भी कार्यरत थे. नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे.

8.वीएस नायपॉल
नोबेल पुरस्कार और बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक वी एस नायपॉल का 12 अगस्त को निधन हो गया. कम से कम तीस किताबें लिख कर अपार ख्याति हासिल करने वाले नायपॉल ने कभी आत्मकथा नहीं लिखी क्योंकि उनका मानना था कि इसमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है. ‘ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ और ‘इंडिया : ए मिलियन म्यूटिनीज’ जैसी कृतियों के रचनाकार नायपॉल का जन्म 17 अगस्त 1932 को त्रिनिदाद में एक भारतीय हिंदू परिवार में हुआ था और 18 साल में वह छात्रवृत्ति हासिल कर यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में पढ़ने के लिए इंग्लैड चले गए. इसके बाद वह इंग्लैंड में ही बस गए थे. उनका नाम ‘विद्याधर’ एक चंदेल राजा के नाम पर रखा गया था. इसी वंश के राजा ने खजुराहो के मंदिरों का निर्माण कराया था.

9.अजीत वाडेकर
विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज में भारत को पहली जीत दिलाने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान अजीत वाडेकर ने भी 16 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. वह 77 साल के थे. वाडेकर की गिनती भारत के सफल कप्तानों में होती है. वह बाएं हाथ के बल्लेबाज व कुशल फील्डर थे. उनका अन्तरराष्ट्रीय करियर आठ साल का रहा. वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने लगातार तीन सीरीज में टीम को जीत दिलायी. इनमें इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की धरती पर भारत की जीत शामिल है. उन्होंने 37 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 31.07 की औसत से 2113 रन बनाए. उन्होंने एकमात्र शतक (143 रन) 1967-68 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध लगाया था.

10.सुजाता कुमार
फिल्म इंग्लिश विंग्लिश में श्रीदेवी की बहन का रोल निभाने वाली एक्ट्रेस सुजाता कुमार (Sujata kumar) का 19 अगस्त को निधन हो गया. उन्हें मेटास्टेटिक (metastatic) कैंसर था. सुजाता कुमार के काम को इंग्लिश विंग्लिश में खूब सराहा गया था. इसके बाद उनके पास कई अच्छे प्रोजेक्ट्स आए थे. वे रांझणा, गोरी तेरे प्यार में जैसी फिल्मों में नजर आईं थीं.

11.केरल की बाढ़
केरल में 124 साल बाद आए भयानक बाढ़ में अधिकारिक तौर पर 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. लाखों लोगों को राहत शिविरों में जगह लेनी पड़ी. राज्य को आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान हुआ है. केरल को इस भयंकर त्रासदी से उभरने में लंबा वक्त लगेगा.

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