तबादले के इच्छुक शिक्षको के लिए आया हाईकोर्ट का ये अहम् फैसला

न्यायमूर्ति इरशाद अली ने 600 से ज्यादा शिक्षकों की ओर से दायर की गई 122 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए इन्हें स्वीकार कर लिया। अदालत ने सरकार की इस तबादला नीति को मनमाना करार दिया।

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की शिक्षक तबादला नीति ‘अंतिम आया, पहले जाए’ को खारिज कर दिया है। साथ ही अदालत ने सभी तबादले और समायोजन रद्द करने के आदेश दिए हैं।

मीनाक्षी सिंह परिहार की याचिका को मुख्य याचिका के तौर पर लेते हुए अदालत ने यह आदेश दिया। इन याचिकाओं में प्रदेश सरकार की ओर से 20 जुलाई को जारी शासनादेश को खारिज करने की गुजारिश की गई थी। साथ ही स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों की सूची व इसके तहत तबादलों पर भी रोक लगाने का आग्रह किया गया था।

सरकारी स्कूलों के बेहतर संचालन और शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारने को प्रदेश सरकार ने जुलाई में इस तबादला नीति का शासनादेश जारी किया था। इसी के तहत सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले किए जा रहे थे।
अभी तक अंतरजनपदीय स्तर पर 12,500 शिक्षकों के तबादले इस नीति के तहत किए गए हैं। जबकि जिले के भीतर हुए तबादलों का ब्योरा शासन के पास उपलब्ध नहीं है।

इन आधारों पर शासनादेश को बताया गैरकानूनी
आरटीई के तहत स्कूलों में शिक्षकों की संख्या तय करने का अधिकार डीएम को दिया गया है जबकि शासनादेश में बेसिक शिक्षा बोर्ड को यह काम दिया गया, जो नियम के विपरीत है। बीच सत्र में शिक्षकों के तबादले किए जाएंगे तो सत्र पर असर पड़ेगा।

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