कांग्रेस के इस वादे पर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने दी सफाई

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया जिसमे कई ऐसे वादे हैं जिसको लेकर तमाम राजनीतिक दल कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि वह सत्ता में आने के बाद अफस्पा में संशोधन करेगी। कांग्रेस के इस वादे पर पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने सफाई दी है। हुडा ने कहा कि उन्होंने इस मसले पर कांग्रेस को सुझाव नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी रिपोर्ट का सवाल है उसमे अफस्पा का कोई जिक्र नहीं है, ना ही इस बात का जिक्र है कि कश्मीर में कितनी संख्या में जवानों को तैनात किया जाएगा, क्योंकि मुझे लगता है कि ये कदम तभी उठाए जा सकते हैं जब सुरक्षा को लेकर व्यापक रणनीति हो।

विजन दस्तावेज सौंपा था
बता दें कि 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के नेतृत्व में ही हुआ था. उस वक्त वह नॉर्दर्न कमांड के चीफ थे। कुछ समय पहले हुडा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 42 पन्नों का राष्ट्रीय सुरक्षा का विजन दस्तावेज सौंपा था। माना जा रहा था कि हुड्डा के ही सुझाव पर ही कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में अफस्पा में संशोधन की बात कही है। लेकिन खुद हुडा ने इन तमाम खबरों को सामने आकर खारिज किया है।

पीएम ने बोला हमला

जिस तरह से कांग्रेस ने सत्ता में आने पर अफस्पा में संशोधन की बात कही है उसपर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का घोषणा पत्र काफी निराशाजनक है। उनका घोषणा पत्र झूठ से भरा है, ये लोग उस कानून को हटाने की बात कर रहे हैं जिसकी वजह से सेना के जवानों की हिफाजत होती है। इस कानून को हटाने से इसका फायदा पाकिस्तान को होगा। कांग्रेस ने आतंक के सामने घुटने टेक दिए हैं।

मैंने समीक्षा की बात कही थी

हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि मेरा मानना है कि मौजूदा अफस्पा की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि यह सुरक्षा बल के जवानों को पूरी सुरक्षा मुहैयाा नहीं कराता है। लिहाजा इसपर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने साफ किया है कि मैंने अपनी रिपोर्ट में इस कानून को कमजोर करने की बात नहीं कही है। मैं सिर्फ समीक्षा की बात कही है। हुड्डा ने किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने से इनकार कर दिया है। बता दें कि कांग्रेस ने अफस्पा में बदलाव और राष्ट्रदोह की धाराओं में संशोधन की बात अपने घोषणा पत्र में की है, जिसकी आलोचना हो रही है।

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