कर्ज के बोझ से जूझ रही जेट एयरवेज कंपनी आखिर कैसे चुकाएं पैसे?

कर्ज के बोझ से जूझ रही निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने बुधवार को 15 उड़ाने रद्द करने का फैसला किया है. छह बोइंग 737 विमानों के खड़ा होने के बाद यह निर्णय लिया गया है. कंपनी ने ये विमान पट्टे पर लिए हुए थे. समय पर इनका पट्टा किराया नहीं चुकाने के चलते इनकी उड़ान रोक दी गई. सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मंगलवार को तीन और बोइंग विमानों का परिचालन बंद कर दिया गया है, जिसके चलते मंगलवार को करीब 20 उड़ानों को रद्द कर दिया गया है. पिछले दो दिनों में किराया नहीं चुकाने की वजह से खड़े किए गए विमानों की कुल संख्या छह हो गई है.

सूत्रों ने कहा कि विमानन कंपनी की बुधवार को 15 उड़ानें रद्द होंगी, इनमें से कुछ उड़ानें दिल्ली से जाने वाली भी हैं. इससे पहले एक सूत्र ने कहा था कि जेट एयरवेज की ओर से विमानों का पट्टा किराया नहीं चुकाया गया है. इसलिए उसे अपने तीन और बोइंग-737 विमानों को परिचालन से बाहर करना पड़ा है. कंपनी अपनी सहयोगी एतिहाद से अतिरिक्त पूंजी का निवेश करने पर बातचीत कर रही है. लेकिन इन तीन विमानों को बाहर किए जाने से उसने अपनी दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, पोर्ट ब्लेयर और बेंगलुरू को जाने और आने वाली कम से कम 19 उड़ाने रद्द की हैं.

वहीं नागर विमानन मंत्रालय संकटग्रस्त जेट एयरवेज के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा. नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने शुक्रवार को कहा कि निजी क्षेत्र की एयरलाइन के कर्जदाताओं और प्रवर्तकों में बातचीत चल रही है ऐसे में मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या जेट एयरवेज ने हवाई अड्डों और पेट्रोलियम कंपनियों का भुगतान टालने जैसी किसी तरह की मदद मांगी है, चौबे ने कहा कि एयरलाइन ने पूर्व में मंत्रालय को पत्र लिखा था लेकिन मंत्रालय ने इसमें हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि जेट ने हमें पहले पत्र लिखा था. उस समय हमने कहा था कि मंत्रालय इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि यह एयरलाइन और सेवाप्रदाता के बीच वाणिज्यिक अनुबंध का मामला है.

Related Articles

Back to top button