उन्होंने आयोग के सामने दूसरा ही विचार रखा जो उनके पहले वाले बयान से बिलकुल उलट

1 फरवरी को 21 राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के पास गई थीं. उनका कहना था कि पेपर के जरिए वोटों का मिलान किया जाना चाहिए. अब उन्होंने आयोग के सामने दूसरा ही विचार रखा है जो उनके पहले वाले बयान से बिलकुल उलट है. पिछले वर्ष 27 अगस्त को चुनाव आयोग ने सर्वदलीय मीटिंग बुलाई थी. जिसमें कांग्रेस पार्टी ने 20 प्रतिशत, राष्ट्रवादी कांग्रेस ने 33 प्रतिशत, सीपीएम ने 10 फीसदी  आम आदमी पार्टी ने 20 फीसदी ईवीएम का मिलान वीवीपैट पर्चियों से करवाने का प्रस्ताव रखा था.

वहीं बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस पार्टी  नेशनल कांफ्रेंस ने बैलेट पेपर सिस्टम में वापस जाने की मांग की थी. 27 अगस्त को हुई मीटिंग में विभिन्न राष्ट्रीय  क्षेत्रीय पार्टियों के दस्तावेजों के अनुसार अब उनका रुख बदल गया है. पांच महीने बाद डीएमके, जनता कदल सेक्युलर, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल  टीडीपी ने चुनाव आयोग में एक संयुक्त याचिका दायर की है. उनका कहना है कि ईवीएम वीवीपैट के 50 फीसदी वोटों की गिनती पर्चियों से होनी चाहिए.

पार्टियों का कहना है कि जहां किसी उम्मीदवार की जीत का अंतर 5 फीसदी घटेगा वहां 100 फीसदी पर्चियों से वोटों का मिलान होना चाहिए. उनका कहना है कि वह ईवीएम को रद्द नहीं करना चाहते लेकिन पर्चियों से उनका मिलान करने का सुझाव दिया है. वर्तमान में वीवीपैट पर्चियों का मिलान किसी एक विधानसभा सीट का ही किया जाता है.

कांग्रेस पार्टी ने 20 विपक्षी पार्टियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ ईवीएम को लेकर जारी चिंता को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. पार्टी ने 27 अगस्त को ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे. जिसमें ईवीएम की खराबी  कथित तौर पर किसी एक पार्टी के पक्ष में वोट जाने का मुद्दा उठाया था. आयोग ने अभी यह साफ नहीं किया है कि वह कितने फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान करेगा.

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