ओबीसी का कालम नहीं तो सेन्सस-2021 का बहिष्कार करेगा पिछड़ा वर्ग-लौटन राम निषाद

लौटन राम निषाद

फाइल फोटो

समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोेष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष चौ. लौटन राम निषाद ने कांग्रेस के रास्ते पर चलते हुए केन्द्र की भाजपा सरकार पर वायदाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सेन्सस-2021 में जातिगत जनगणना कराने के वायदे के बाद भी जनगणना का जो प्रोफार्मा जारी किया गया है, उसमें ओबीसी का कालम ही नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सेन्सस-2021 के लिए प्रोफार्मा में ओबीसी का कालम नहीं, तो पिछड़ा वर्ग 2021 की जनगणना का बहिष्कार करेगा।

जब पिछड़े वर्ग के आरक्षण व सामाजिक न्याय से सम्बन्धित कोई मामला न्यायालय में जाता है, तो ओबीसी की जनसंख्या मांगी जाती है। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा सेन्सस-1931 में अंतिम बार जातिगत जनगणना करायी गयी थी।

इसके बाद ओबीसी की जनगणना कराना उचित नहीं समझा गया। एससी/एसटी तथा धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग की जनगणना हर 10 वर्ष के बाद करायी जाती है। सेन्सस-2011 में एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के साथ-साथ ट्रान्सजेण्डर व दिव्यांग की जनगणना कराकर उनकी जनसंख्या की घोषणा 15 जून, 2016 को की गयी।

जातिगत जनगणना के वायदे से पीछे हट रही मोदी सरकार

यूपीए-2 की सरकार ने सेन्सस-2011 की जनगणना कराने का वायदा संसद के अंदर किया था। लेकिन जब जनगणना करायी गयी तो ओबीसी को दरकिनार कर दिया गया। कांग्रेस के ही रास्ते पर चलते हुए मोदी सरकार ने भी ओबीसी जातिगत जनगणना के वायदे से पीछे हट गयी।

जनसंख्यानुपात में प्रतिनिधित्व की मांग

निषाद ने जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की वकालत करते हुए कहा कि हर वर्ग को जनसंख्यानुपात में प्रतिनिधित्व, भागीदारी व हिस्सेदारी देना ही संवैधानिक व्यवस्था व नैसर्गिंक न्याय के अनुकूल है।

एससी/एसटी की जातिगत जनगणना करायी जाती है और इन वर्गों को शिक्षा,सेवायोजन, विधायिका आदि में समानुपाति आरक्षण कोटा दिया जाता है, तो ओबीसी की जनगणना से परहेज क्यों? उन्होंने ओबीसी को भी हर स्तर पर समानुपाति आरक्षण दिये जाने की मांग किया है।

राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग की मांग

मोदी वोट बैंक के लिए अपने को पिछड़ी जाति का बताते है परन्तु जब से प्रधानमंत्री बने है, ओबीसी के आरक्षण को कुन्द व निष्प्रभावी किया जा रहा है। उच्च न्याय पालिका में न्यायाधीशों का चयन कोलेजियम सिस्टम से किया जाता है जिससे भाई भतीजावाद व तुच्छ जातिवाद को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग के माध्यम से लोक सेवा आयोग व संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न पर उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के चयन की मांग किया है।

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