आखिर ऐसा क्या है, जो लखनऊ और उसकी चिकनकारी को बनाती है खास

लखनऊ गोल्फ क्लब में चिकन साड़ी पर चर्चा

स्टार एक्सप्रेस

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) जहां एक तरफ खान- पान, नवाबीपन व अपने “पहले आप- पहले आप” जैसे तहजीब के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी तरफ यह अपने रहने सहन व पहनावे को लेकर भी काफी चर्चा में बना रहता है। लखनऊ का टुंडे कवाब जहां पूरे देश भर में जाना जाता है वहीं लखनऊ की बसे बेहतरीन वस्त्र कढ़ाई चिकनकारी (Chikankari) पूरे भारत ही नहीं विश्व भर में सुप्रसिद्ध है।

इसी क्रम में बुधवार को लखनऊ गोल्फ़ क्लब में साड़ी महिला समूह के तत्वधान में चिकन कलाकारी और चिकन साड़ी के महत्व और चुनौतियों के विचारार्थ एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस गोष्ठी में कार्यक्रम की व्यवस्थापक प्रियंका गुप्ता, शालिनी सिंह व मेघना माथुर के साथ अपने- अपने क्षेत्र की लब्धप्रतिष्ठ महिलाओं ज्योत्सना (सी.आर.ओ. , एल.एफ़.एम.) दिया बदगेल (निदेशक , ए॰आर॰ जयपुरिया स्कूल अलमबाग) सहित फ़ैशन जगत की समझ रखने वाली जानी मानी हस्तियों ने प्रतिभाग किया और लखनऊ की परिधान संस्कृति की ध्वजवाहक चिकन साड़ी से जुड़े तमाम अनछुए क़िस्सों और यादों को विविधतापूर्ण तरीक़े से व्यक्त किया। चिकन साड़ी की शान का बखान एक पल को सभी प्रतिभागियों के जीवन के अनेक भावुक पलों को पुनः जीवंत कर गया ।

 

जगप्रसिद्ध चिकनकारी कला की गौरवपूर्ण यात्रा और सौंदर्य सौष्ठव के साथ ही इस कला के वर्तमान काल की चुनौतियों पर भी गम्भीर विमर्श किया गया और एक क्षेत्रीय परिधान कला के रूप में इसके अस्तित्व और विकास पर भी प्रकाश डाला गया।

सभी प्रतिभागियों द्वारा चिकन साड़ी को महज़ एक वार्डरोब वस्त्र की तरह नहीं अपितु लखनऊ की एक स्थानिक कला के रूप में भी रेखांकित किया गया और एक स्वर में इस साड़ी के प्रचार प्रसार के लिए निज स्तर से अशेष प्रयासों की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी जिससे कि इस कला और वस्त्र निर्माण से जुड़े प्रत्येक हाथ को उसके महत्व से परिचित कराने में सामाजिक भूमिका का सक्रिय निर्वहन हो सके।

 

जानिये क्या है चिकनकारी

चिकनकारी उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कढ़ाई शैली में से एक है। इसे लखनऊ की सबसे बेहतरीन वस्त्र कढ़ाई शैलियों में से एक माना जाता है जबकि ज़रदोज़ी कढ़ाई सुंदर धातु कढ़ाई के रूप में जानी जाती है, जो किसी समय राजाओं एवं भारतीय राजसी पोशाक को सुंदर दिखाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी।

ज़रदोज़ी कढ़ाई कार्य में सोने एवं चांदी के धागे का इस्तेमाल कर डिजाइन का काम किया जाता है। चिकनकारी पारंपरिक कढ़ाई को सुईं एवं विभिन्न प्रकार के धागों का इस्तेमाल कर किया जाता है जबकि ज़री-ज़रदोज़ी का काम सुनहरे और चमकीले अनुक्रमों और अन्य सजावटी सामग्री से किया जाता है। चिकनकारी एवं ज़री-ज़रदोज़ी कार्य जी.आई. में पंजीकृत हैं। लखनवी कढ़ाई विश्व प्रख्यात है। यह शिल्प अनेक लोगों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार के अवसर दे रहा है।

 

आखिर ऐसा क्या है, जो लखनऊ और उसकी चिकनकारी को बनाती है खास

लखनऊ शहर, लखनऊ जनपद एवं लखनऊ मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है। वर्तमान में लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ हमेशा से ही बहुसांस्कृतिक शहर माना जाता रहा है। लखनऊ को अपने वास्तविक नाम के अतिरिक्त ‘नवाबों का शहर’ भी कहा जाता है। इस जनपद को विश्व स्तर पर इसके चिकनकारी कार्य के लिए जाना जाता है।

इस शहर में बनाया जाने वाले चिकन (एक प्रकार का कपड़ा) का कुर्ता एवं पैजामा काफी पसंद किया जाता है, जिसे अधिकांश लोग गर्मियों में पहनना पसंद करते हैं। वर्तमान में यह शहर वाणिज्य, एयरोस्पेस, वित्तीय , औषधि, तकनीक, अभिकल्पना, संस्कृति, पर्यटन, कला एवं साहित्य के लिए जाना जाता है।

 

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