दिल्ली में विधायक-मंत्रियों की सैलरी में बढ़ोतरी, 67% बढ़ी सैलरी, मुख्यमंत्री का वेतन 72 हजार से बढ़कर 1.70 लाख हुआ

स्टार एक्सप्रेस संवाददता

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में जुलाई 2022 में विधायकों-मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया गया था। अब इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार के लॉ डिपार्टमेंट ने वेतन बढ़ोतरी का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके मुताबिक, विधायकों को अब 90000 सैलरी मिलेगी।

दिल्ली में विधायकों की सैलरी में  67% की बढ़ोतरी की गई है। अब विधायकों को हर महीने 90 हजार रुपए मिलेंगे। अभी तक विधायकों को 54 हजार रुपए मिलते थे। इसके अलावा मंत्रियों और मुख्यमंत्री के वेतन में भी बढ़ोतरी की गई है। मुख्यमंत्री का वेतन अब बढ़कर 1.70 लाख रुपए प्रति महीने हो गया है। यानी मंत्री और मुख्यमंत्री के वेतन में 136 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।

दरअसल, दिल्ली विधानसभा में जुलाई 2022 में विधायकों-मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सैलरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया गया था। अब इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार के लॉ डिपार्टमेंट ने वेतन बढ़ोतरी का नोटिफिकेशन जारी किया है।

12 साल बाद विधायकों की बढ़ी सैलरी

दिल्ली में 12 साल बाद विधायकों की सैलरी बढ़ी है। 14 फरवरी 2023 से विधायकों को 90 हजार रुपए सैलरी मिलेगी। जबकि, मुख्यमंत्री,मंत्री, स्पीकर और विपक्ष के नेता को 1.72 लाख रुपए मिलेंगे। इनमें से 70 हजार रुपए उन्हें पहले ही मिल जाएंगे। 4 जुलाई 2022 को विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सैलरी बढ़ाने को लेकर 5 प्रस्ताव पास किए गए थे।

अभी तक विधायकों को बेसिक सैलरी के तौर पर 12000 रुपए मिलते थे। अब यह बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दिया गया। इसके अलावा डीए को 1000 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपएकर दिया गया। नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब विधायकों को भत्तों समेत 90 हजार रुपये हर महीने मिलेंगे।

सबसे ज्यादा तेलंगाना में सैलरी मिलती है

भारत में विधायकों को सबसे ज्यादा सैलरी तेलंगाना में मिलती है। यहां सभी भत्तों को मिलाकर एक विधायक को हर महीने 2.5 लाख रुपये मिलते हैं। दिल्ली की AAP सरकार ने दिसंबर 2015 में विधायकों की सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया था। इसमें विधायकों की सैलरी 54 हजार से बढ़ाकर 2.10 लाख महीना करने का प्रस्ताव था, लेकिन इस बिल को केंद्र ने रद्द कर दिया था। इस मामले में भाजपा का कहना था कि 2015 का प्रस्ताव नियमों का उल्लंघन करके पास किया गया था। इस वजह से उसे मंजूरी नहीं मिली। इतना ही नहीं केंद्र ने AAP सरकार से प्रस्ताव में कुछ परिवर्तन करने की सलाह भी दी थी।

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