भारतीय नौसेना के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सेनाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ाने को लेकर कही ये बातें

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO) के ‘स्वावलंबन’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। इस दौरान पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी के भारत के लिए भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य बहुत जरूरी है। आत्मनिर्भर नौसेना के लिए पहले स्वावलंबन सेमिनार का आयोजन होना इस दिशा में अहम कदम है।

 

पीएम मोदी ने कहा कि, “हमारे पास प्रतिभा है। ये कोई समझदारी नहीं कि मेरे सैनिकों को उन्हीं 10 हथियारों के साथ मैदान में जाने दें जो दुनिया के पास हैं, मैं ये जोखिम नहीं उठा सकता. मेरे जवान के पास वो हथियार होगा जिसके बारे में विरोधी सोचेगा भी नहीं.” प्रधानमंत्री ने साफ तौर से कहा कि जैसे-जैसे भारत ग्लोबल स्टेज पर खुद को स्थापित कर रहा है, वैसे-वैसे देश के खिलाफ दुष्प्रचार, गलत-प्रचार और अप-प्रचार के माध्यम से हमले हो रहे हैं।

“राष्ट्ररक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं”

भारतीय नौसेना के स्वावलंबन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि, “राष्ट्ररक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है। इसलिए हर नागरिक को इसके लिए जागरूक करना, भी उतना ही आवश्यक है। पीएम मोदी के मुताबिक, अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं, युद्ध के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। पहले हम सिर्फ थल, जल और आकाश तक ही अपने डिफेंस की कल्पना करते थे, लेकिन अब दायरा स्पेस यानि अंतरिक्ष की तरफ बढ़ रहा है, साइबर-स्पेस की तरफ बढ़ रहा है, आर्थिक, सामाजिक स्पेस की तरफ बढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने नौसेना के कार्यक्रम में और क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोवाल, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायुसेनाध्यक्ष की मौजूदगी में पीएम मोदी ने कहा कि भारत के खिलाफ गलत और दुष्प्रचार अपप्रचार के माध्यम से लगातार हमले हो रहे हैं। ऐसे में खुद पर भरोसा रखते हुए भारत के हितों को हानि पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते आठ वर्षों में हमने सिर्फ डिफेंस का बजट ही नहीं बढ़ाया है, ये बजट देश में ही डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग ईको-सिस्टम के विकास में भी काम आए, ये भी सुनिश्चित किया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है।

“विदेशी के साथ-साथ स्वदेशी हथियारों को भी अपनाना होगा”

ब्रह्मोस और तेजस जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म का उदाहरण देते हुए पीएम ने कहा कि, “जब तक हम अपने बच्चे को गले नहीं लगाएंगे तो फिर कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि पड़ोसी उसे प्यार करे उन्होनें कहा कि ये बात सही है कि ‘एप्पल और ऑरेंजेस’ की तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन विदेशी हथियारों के साथ-साथ स्वदेशी हथियारों को भी अपनाना होगा। पीएम ने कहा कि जो हथियार दुनिया के दस देश इस्तेमाल कर रहे है मैं अपने सैनिकों को ऐसे हथियार देने का रिस्क नहीं ले सकता। इसलिए रक्षा-क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सिर्फ एक आर्थिक अभियान नहीं है उससे ज्यादा है।

“भारत रक्षा उपकरणों का अहम सप्लायर होता था”

पीएम ने कहा कि आजादी से पहले भारत का डिफेंस सेक्टर काफी मजबूत हुआ करता था। आजादी के समय देश में 18 ऑर्डनेस फैक्ट्रियां थीं जहां तोप समेत कई तरह के सैनिक साजो-सामान हमारे देश में बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम सप्लायर थे। हमारी होवित्जर तोपों, इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। हम बहुत बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट किया करते थे, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े इम्पोर्टर बन गए।

पीएम मोदी ने स्वावलंबन सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि 75 स्वदेशी टेक्नोलॉजी का निर्माण एक तरह से पहला कदम है। हमें इनकी संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो18-19 जुलाई को नौसेना राजधानी दिल्ली में स्वावलंबन नाम का सेमिनार कर रही है।

इस सेमिनार के दौरान भारतीय नौसेना 75 ऐसी तकनीक और प्रोडेक्ट्स को स्वदेशी कंपनियों और स्टार्ट-अप्स को बनाने का चैलेंज दे रही है जिन्हें नौसेना खुद इस्तेमाल करेगी। ये 75 तकनीक देश की आजादी के अमृत महोत्सव यानि आजादी के 75 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में तैयार किए जा रहे हैं।

 

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