कोरोना के बाद आ गया नया वायरस ‘मंकीपॉक्स’, जानिये इसके लक्षण और इलाज

कोरोना वायरस का खतरा अभी पूरी तरह से टला भी नहीं है कि एक और वायरस की दस्तक ने लोगों का दिल दहला कर रख दिया है।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. कोरोना वायरस का खतरा अभी पूरी तरह से टला भी नहीं है कि एक और वायरस की दस्तक ने लोगों का दिल दहला कर रख दिया है। खास बात यह है कि यह वायरस भी कोरोना की ही तरह संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलता है। बता दें, इस वायरस का नाम है मंकीपॉक्स। यह बीमारी चूहों या बंदरों जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि संक्रमित व्यक्ति हाल में नाइजीरिया से आया है। ऐसे में आशंका है कि मरीज को मंकीपॉक्स का संक्रमण उसी देश में हुआ है। बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला इंसानों में साल 1970 में सामने आया था।

जानिये क्या है मंकीपॉक्स वायरस

मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यह एक दुर्लभ संक्रमण है जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखता है। इस बीमारी में चेचक के लक्षण दिखाई देते हैं।

इसके अलावा इस संक्रामक बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण भी मरीज में दिखाई दे सकते हैं। जिन लोगों में यह बीमारी गंभीर होती है उनमें निमोनिया के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इससे संक्रमित होने पर मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद यह बीमारी आंख, नाक या मुंह के जरिए इंसान के शरीर में फैल सकती है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मरीज के चेहरे और शरीर पर लाल रंग के दानें और रैशेज के साथ ये लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। –
-शरीर पर गहरे लाल रंग के दानें।
-स्किन पर लाल रंग के रैशेज।
-फ्लू के लक्षण।
-निमोनिया के लक्षण।
-बुखार और सिरदर्द।
-मांसपेशियों में दर्द।
-ठंड लगना।
-अत्यधिक थकान।
-लिम्फ नोड्स में सूजन।

मंकीपॉक्स का इलाज-

यूं तो इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति सामान्यतः एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी बहुत गंभीर और जानलेवा भी हो सकती है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स का फिलहाल कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है। इस बीमारी से संक्रमित होने पर मरीज के लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है।

संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रखने से अन्य लोगों में इसके फैलने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा सार्वजानिक जगहों पर फेस मास्क का इस्तेमाल, साफ-सफाई का ध्यान रखने की भी सलाह दी जाती है।

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