मां की अंतिम यात्रा में कंधा देते दिखे नरेंद्र मोदी, जताया शोक

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. माता हीराबेन की अर्थी को दाहिने तरफ से कंधा देते सामने से आते दिखे नरेंद्र मोदी. पिछले आठ वर्ष से देश के प्रधानमंत्री, और इससे पहले करीब पौने तेरह साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने सुशासन की शोहरत देश- दुनिया से बटोरते मोदी. लेकिन यहां मोदी न तो प्रधानमंत्री की भूमिका में थे और न ही उस लोकप्रिय नेता के तौर पर, जिसकी धाक देश और दुनिया में है। यहां वो मोदी थे, जो अपनी मां हीराबेन के नरेंद्र थे।

मां की सीख हमेशा मोदी के लिए पत्थर की लकीर रही

पीएम मोदी के चेहरे के भाव श्मशानगृह में मौजूद उन पचास- साठ लोगों से छुपे नहीं रहे, जिन्होंने मोदी को अपने मां की अर्थी उठाकर आते हुए देखा. बड़ी- बड़ी मुसीबतों और चुनौतियों से मजबूती से बाहर निकल कर आए मोदी के लिए ये वो पल था, जो उस कमी का संकेत था, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। आखिर साढ़े पांच दशक से भी लंबे सार्वजनिक जीवन के बीच कुछ निजी था, तो वो बस मां. वो मां, जो अपने बेटे को हमेशा प्रेरित करती रहती थी, अपनी छोटी- छोटी बातों से, जो सुनने में तो सहज थीं, लेकिन जिनका असर नरेंद्र मोदी पर गंभीर रहा।

मोदी के जीवन में बड़ा शून्य है मां का जाना

नौ बजकर बाइस मिनट पर हीराबा को मुखाग्नि दी गई. इस मौके पर बड़े बेटे सोमभाई एक तरफ थे, तो दूसरी तरफ छोटे बेटे पंकज मोदी. बीच में नरेंद्र मोदी, वो नरेंद्र मोदी जो अपनी मां के सबसे लाड़ले थे. चिता धू- धू कर जल पड़ी. करीब आधे घंटे तक चिता से लपटें उठती रही. इन लपटों के किनारे खड़े रहे मोदी, कभी चुपचाप चिता को निहारते हुए, तो कभी बीच में चिता पर घी प्रवाहित करते हुए. आंखें शून्य की ओर, आखिर मां हीराबा बेटे नरेंद्र के जीवन में बड़ा शून्य छोड़ गई हैं, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।

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मां से हमेशा मिलने आया करते थे मोदी

मां के साथ रिश्ता खास था, इसलिए शुरुआती जीवन में दो साल तक देश के अलग- अलग हिस्सों में भटकने और साधना के बाद एक दिन के लिए अपने घर पहुंचे भी, तो सिर्फ मां से मिलने और फिर मां का आशीर्वाद लेकर निकले तो कुछ समय बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक ही बन गये। मां खास पढ़ी- लिखी तो नहीं थीं, लेकिन भारतीय लोक परंपरा और मूल्यों में समाहित ज्ञान को वो हमेशा बेटे को देते रहती थीं। तमाम मुश्किलों के बीच बच्चों का पालन- पोषण करने वाली मां ने हमेशा समाज के लिए अच्छा करने पर बल दिया।

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