मौसम विभाग की चेतावनी, मध्य प्रदेश में फिर हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग ने बताया, मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश की चेतावनी जारी की गई है। जबलपुर, भोपाल और इंदौर में रुक रुककर बारिश का पूर्वानुमान है।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. मध्य प्रदेश में फिर वापस बारिश का दौर बन रहा है। बाढ़ और बारिश से लोग अभी परेशान ही चल रहे थे कि वापस मौसम विभाग ने चेतावनी दे दी है. मौसम वैज्ञानिक एमएस तोमर ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ है। मानसून ट्रफ भी हिमालय से नीचे आकर वर्तमान में मध्य प्रदेश से होकर गुजर रहा है। एक बार फिर मानसून की सक्रियता के कारण मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में रुक-रुककर बारिश का सिलसिला बना रहेगा। बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में बने चक्रवात के कम दबाव के क्षेत्र परिवर्तित होने की संभावना है।

बढ़ा बाढ़ का खतरा

गुरुवार से कई जिलों में बारिश का दौर भी शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश में फिर से भारी बारिश के चलते लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भोपाल समेत प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बारिश का दौर जारी हो सकता है। बारिश की वजह से तवा, नर्मदा, शिप्रा, पार्वती, बेतवा और चंबल नदियां लबालब भरी हैं। वहीं जलस्तर बढ़ने की वजह से जिलेभर के बांधों के गेट खोले जा चुके थे लेकिन वापस जलस्तर बढ़ा तो फिर बांधों के गेट खुलेंगे जिससे निचले इलाकों में पानी भरने का खतरा बढ़ सकता है।

इन जिलों में होगी बारिश

इस बीच मौसम विभाग ने बताया, मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश की चेतावनी जारी की गई है। जबलपुर, भोपाल और इंदौर में रुक रुककर बारिश का पूर्वानुमान है. रायसेन, विदिशा, सीहोर, कटनी, छिंदवाड़ा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी और मंडला में भी बारिश का सिलसिला जारी रहने का पूर्वानुमान है। मौसम वैज्ञानिक द्वारा जानकारी के मुताबिक 1 सप्ताह से मानसून ट्रफ हिमालय में बना हुआ था. बुधवार को बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के बनते ही मानसून ट्रफ भी नीचे आ गया है।

इस वजह से बढ़ी मानसून की सक्रियता

फिलहाल वर्तमान में यह बाड़मेर, कोटा, गुना, सीधी, अंबिकापुर, झारसुगड़ा और बालासोर से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है। कर्नाटक में भी हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ है। बंगाल की खाड़ी से बने चक्रवात से लेकर कर्नाटक से होते हुए केरल तक एक ट्रफ लाइन बनी हुई है. इन्हीं ट्रफ लाईनों के अलग-अलग स्थानों पर बनी मौसम प्रणालियों के कारण मानसून की सक्रियता बढ़ती है।

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