OBC आरक्षण पर बोलीं मायावती, कांग्रेस,भाजपा, सपा आरक्षण विरोधी पार्टियां

मायावती ने कहा कि हर स्तर पर मिशनरी कैडर होने के बावजूद अपना उद्धार स्वंय करने योग्य बनने हेतु सत्ता संघर्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है, जिसको अपने तन, मन, धन के संघर्ष से पार पाना है ।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. देश व ख़ासकर उत्तर प्रदेश में तेजी से बदल रहे राजनीतिक हालात का समुचित संज्ञान लेते हुये बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने यूपी स्टेट उत्तराखण्ड स्टेट पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों आदि के आज यहाँ आयोजित अति-महत्त्वपूर्ण एकदिवसीय सम्मेलन में सबसे पहले सभी को एक दिन के बाद शुरू हो रहे नववर्ष सन् 2023 की हार्दिक शुभ कामनायें दी तथा पार्टी को नये साल में नये जोश व उमंग के साथ नये अनुकूल हो रहे माहौल में जनाधार को तेजी से बढ़ाकर पार्टी व मूवमेन्ट को चुनाव जीतने योग्य मज़बूत बनाने के लिए नई रणनीति पर पूरे जी-जान से लग जाने का आहवान किया।

मायावती ने कहा कि हर स्तर पर मिशनरी कैडर होने के बावजूद अपना उद्धार स्वंय करने योग्य बनने हेतु सत्ता संघर्ष आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है, जिसको अपने तन, मन, धन के संघर्ष से पार पाना है। भाजपा द्वारा जातिवादी द्वेष तथा यूपी में सोची-समझी रणनीति के तहत् मेयर आदि के लिए बहुप्रतीक्षित स्थानीय निकाय चुनाव समय से नहीं कराने व इसे टालते रहने के षडयंत्र पर उठे राजनीतिक उबाल का फीडबैक लेने तथा नववर्ष के प्रारंभ से ही आगामी लोकसभा आमचुनाव की तैयारी आदि को लेकर भी पार्टी के आगे की रणनीति तथा पार्टी के जनाधार को गाँव-गाँव में बढ़ाने हेतु ज़रूरी दिशा- निर्देश देने के लिए बुलाई गई इस बैठक को सम्बोधित करते हुए मायावती ने कहा कि गरीबों की लाचारी व युवाओं की बेरोजगारी दूर करने, त्रस्त करती महंगाई को कम करने तथा लोगों के “अच्छे दिन’ लाने के सम्बंध में सरकार की कथनी व करनी में अन्तर व मिथ्या प्रचार आदि से लोगों में काफी निराशा है।

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मायावती ने कहा कि भाजपा के खास रहे व्यावारी वर्ग भी जीएसटी के जंजाल से काफी तंग व बेहाल है तथा अब यूपी में भी जीएसटी के सर्वे / छापेमारी व इनके इन्सपेक्टर राज आदि से परेशान होकर आन्दोलन करने को मजबूर हैं। देश के करोड़ों शिक्षित वर्ग रोजगार पाकर अपने थोड़े अच्छे दिन के लिए तरस रहे हैं। सरकारी वायदे व घोषणायें अब उन्हें चुभने लगी हैं। ऐसे में खासकर बी.एस.पी. को उन्हें नये उम्मीद के किरण बनकर फिर से उभरना है, जिसके लिए पूरे तन, मन, धन से संघर्ष लगातार जारी रखना है।

सरकार की गलत नीतियों व कार्यकलापों तथा इनके द्वेषपूर्ण एवं अहंकारी रवैये आदि के साथ ही जनता अपनी गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, बदहाल शिक्षा व स्वास्थ्य तथा तनावपूर्ण माहौल आदि के बदहाल जीवन से काफी तंग आकर कुछ बेहतर बदलाव की चाह की ओर अग्रसर है। यही कारण है कि सरकारें किसी न किसी बहाने चुनाव को टालते रहने का अनुचित प्रयास लगातार करती रहती हैं।

इसी संदर्भ में उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव के उल्लेख करते हुये मायावती ने कहा कि भाजपा की नीयत व नीति अगर यूपी निकाय चुनाव को सही कानूनी तरीके से समय पर कराकर उसे टालने की नहीं होती तो वह धर्मान्तरण, मदरसा सर्वे आदि के ‘संघ तुष्टीकरण’ एजेण्डा को लागू करने में ही समय व शक्ति को बर्बाद करने के बजाय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण सही से सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पर अपना ध्यान केन्द्रित करती तो आज ऐसी विचित्र व दुःखद स्थिति नहीं पैदा होती।

अब यह यूपी सरकार का विशेष उत्तरदायित्व है कि लोकतंत्र के हित में निकाय चुनाव पूरी संवैधानिक व कानूनी प्रक्रियाओं के साथ समय से हो, वरना सरकार की गलत नीतियों व कार्यशैली से त्रस्त जनता का यह सोचना गलत नहीं होगा। कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की तरह ही चुनाव को टालते रहना चाहती है।

मायावती ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही घोर आरक्षण विरोधी पार्टियाँ हैं। यही कारण है कि इन दोनों पार्टियों ने आपस में मिलकर पहले एससी व एसटी वर्ग के उत्थान के लिए उनके आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को लगभग निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया और अब वही बुरा रवैया ओबीसी वर्ग के आरक्षण के साथ भी हर जगह किया जा रहा है। हजारों पद वर्षों तक खाली पड़े हुये हैं। इस मामले में सपा की भी सोच, नीति व नीयत ठीक नहीं है।

जिसके अनेकों उदाहरण है। इसके साथ ही यह भी सर्वविदित है कि पहले कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण से सम्बंधित काका कालेलकर व मण्डल आयोग की सिफारिश को ठण्डे बसते में डाले रखा और फिर यही निगेटिव रवैया बीजेपी का भी रहा जब बी. एस. पी. द्वारा सरकार को बाहर से समर्थन देने की शर्तों को मानते हुए वी. पी. सिंह की सरकार ने मण्डल रिपोर्ट को स्वीकार करके ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था देश में लागू की तब भाजपा के लोगों ने इसका देश भर में जबरदस्त विरोध किया।

जबकि इसके विपरीत बी.एस.पी. ने केवल पार्टी स्तर पर ही नहीं बल्कि अपनी पार्टी की यूपी में अब तक रही चारों हुकूमतों में भी ओबीसी वर्ग के साथ-साथ सर्वसमाज के लोगों को पूरा-पूरा आदर-सम्मान दिया गया तथा विशेष भर्ती अभियान चलाकर सभी रिक्त सरकारी नौकरी के पदों को भरा गया। इस प्रकार स्पष्ट है कि केवल बी.एस.पी. की कथनी व करनी में अन्तर नहीं है। बी.एस.पी. बातें कम व काम अधिक करने वाली पार्टी है अर्थात् “हम जो कहते हैं वह करके भी दिखाते हैं।”

इसके अलावा दो बीजेपी शासित राज्यों कर्नाटक व महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को लेकर लगातार तकरार, तनातनी व पुलिस कार्रवाई आदि के साथ ही दोनों राज्यों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की घटना का भी संज्ञान लेते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि भाजपा धर्मान्तरण, लव जेहाद, हेट जेहाद मदरसा सर्वे आदि अनेकों प्रकार के विवादों को लेकर साम्प्रदायिक विवाद पार्टी बनने के बाद अब सीमा विवाद वाली पार्टी भी बन गई है।

जबकि इस पार्टी को देश में व्याप्त भारी ग़रीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि जैसी गंभीर आन्तरिक समस्याओं के साथ-साथ जबरदस्त चीनी सीमा विवाद पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करने की ज़िम्मेदारी निभाकर देश को आगे बढ़ाना चाहिये। वैसे जनहित व जनकल्याण को लेकर यूपी सरकार के भी खेल विचित्र व निराले हैं। इनके मंत्रीगण विदेश से पूंजी निवेश लाने के नाम पर सरकारी धन विदेश “रोड शो’ भ्रमण पर खर्च करने को ही ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं।

चुनावी बाण्ड व धन्नासेठों के धनबल पर देश के चुनावों में ‘रोड शो’ आदि करके वोट बटोरने की कला के माहिर लोगों को अब सरकारी धन से विदेश में ‘रोड शो’ करने का नया शहखर्चीला चसका लग गया है, यह अति दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण विदेशों से कालाधन लाकर उसे गरीबों में बांटने की तरह ही विदेश से निवेश लाने के इस छलावे के खेल को भी जनता अब खूब समझने लगी है।

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