नाग पंचमी पर इस बार बन रहे कई शुभ योग, करें ये उपाय दूर होगा काल सर्प दोष

नाग देवता की आराधना का पर्व नाग पंचमी दो अगस्त को उल्लासपूर्वक मनाया जाएगा। उस दिन विभिन्न शिवालयों में विधि-विधान से भगवान शिव के साथ ही नागदेवता की भी पूजा-अर्चना की जाएगी। 

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. प्रकाशित हृषिकेश पंचांग के अनुसार, शुक्र पंचमी तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात्रि 2:25 बजे तक है। इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दिन में 3:47 बजे तक उसके बाद हस्त नक्षत्र है। इसी प्रकार शिव योग शाम 5:53 बजे तक विद्यमान है। इस दिन दाता नामक शुभ औदायिक योग भी है। चंद्रमा की स्थिति कन्या राशि पर है, जिसका स्वामी बुध नामक सौम्य ग्रह है। दोनों योग शुभ होने से भगवान शिव और नागदेवता के पूजन से राहु केतु सहित काल सर्प के दोष से मुक्ति मिलेगी।

ज्योतिष में नाग पंचमी का महत्व

ज्योतिर्विद पं. नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान हैं। ज्योतिष शास्त्रत्त् में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाया जाता है। नाग को शिव का सेवक भी कहा जाता है। नाग भगवान शिव के गले में विराजमान हैं।

नाग पंचमी की पूजन-विधि

प. जोखन पांडेय ने बताया कि गरुड़ पुराण के मुताबिक व्रती घर के दोनों ओर नागों को चित्रित करके उनकी विधि पूर्वक पूजा करें। पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं, इसलिए गंध, पुष्प, धूप, कच्चा दूध, खीर, भीगा हुआ बाजरा और घी से पूजन करें। सुगंधित पुष्प और दूध सर्पों को अति प्रिय होने से लावा और दूध अर्पण किया जाता है। इस दिन सपेरों और ब्राह्मणों को भी लड्डू और दक्षिणा दान करें।

नागपंचमी पर चिड़ियाघर में छूट दिलाने की तैयारी

बाघ दिवस पर गोरखपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में राज्यमंत्री केपी मलिक के निर्देश के बाद गोरखपुर चिड़ियाघर में नागपंचमी पर नाग देवता (कोबरा) का दर्शन करने के लिए टिकट शुल्क में 50 फीसदी की रियायत पर अमल की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

नागपूजा से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव और विष्णु

ज्योतिषाचार्य जितेन्द्र पाठक ने बताया कि शास्त्रत्तें में मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग की पूजा करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म में नाग को भगवान शिव के गले का हार और भगवान विष्णु की शैय्या कहा गया है।

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