BJP में बड़े परिवर्तन, सीपी जोशी राजस्थान और सम्राट चौधरी बने बिहार प्रदेश अध्यक्ष

स्टार एक्सप्रेस संवाददाता

नई दिल्ली: सम्राट चौधरी को बिहार की राजनीति में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय का करीबी माना जाता है। वे स्वयं यादव जाति से आते हैं। सम्राट चौधरी को प्रदेश की कमान देकर भाजपा ने पिछड़े-दलितों के वोट बैंक को साधने का संकेत दिया है।

भाजपा ने आगामी चुनावों को देखते हुए संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। राजस्थान से सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। विधान परिषद सदस्य सम्राट चौधरी को बिहार और मनमोहन सामल को ओडिशा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। दिल्ली नगर निगम चुनावों में भाजपा की हार के बाद आदेश गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को पूर्णकालिक अध्यक्ष बना दिया गया है।

बिहार के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए सम्राट चौधरी इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं। वे सदन में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। 2015 में भाजपा में आने से पहले लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ में भी रह चुके हैं। वे कुशवाहा समाज से आते हैं, यानी उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने से नीतीश कुमार के कोइरी-कुशवाहा जाति के वोट बैंक में सेंध लग सकती है।

सम्राट चौधरी को बिहार की राजनीति में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय का करीबी माना जाता है। वे स्वयं यादव जाति से आते हैं। सम्राट चौधरी को प्रदेश की कमान देकर भाजपा ने पिछड़े-दलितों के वोट बैंक को साधने का संकेत दिया है।

सीपी जोशी ही क्यों?

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसी साल चुनाव में जाने वाले राज्य राजस्थान में चित्तौड़गढ़ से दो बार के सांसद रहे सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। वे मूलरूप से संगठन के व्यक्ति माने जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष नियु्क्त होने के पहले वे पार्टी में उपाध्यक्ष की हैसियत से काम कर रहे थे। वे अशोक परनामी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए युवामोर्चे के अध्यक्ष के तौर पर भी काम कर चुके हैं।

ब्राह्मण समुदाय से आने वाले सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने इस समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है। इसी सप्ताह केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्य में ब्राह्मण सम्मेलन कर राज्य की राजनीति में ब्राह्मणों को उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान देने की बात कही थी।

इस चुनावी राज्य में भाजपा के प्रदेश संगठन में कई गुट बताए जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया स्वयं को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की दावेदार के रूप में पेश कर रही हैं, तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी इस दौड़ में आगे बताए जाते हैं। पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भी अपने-अपने गुट बना रखे हैं। भाजपा को इस गुटबाजी का चुनाव में नुकसान हो सकता है। लेकिन सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने इसी गुटबाजी को रोकने की कोशिश की है, क्योंकि सीपी जोशी को किसी गुट से जोड़कर नहीं देखा जाता है।

दिल्ली वीरेंद्र सचदेवा को मिली 

हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इससे भाजपा को 15 साल शासन में रहने के बाद निगम की सत्ता से बाहर होना पड़ा है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी मिली थी। वीरेंद्र सचदेवा पार्टी संगठन में लंबे समय से काम करते रहे हैं। वे मयूर विहार जिले के अध्यक्ष सहित पार्टी के उपाध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। अब उन्हें पूरी तरह प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है।

पंजाबी लॉबी से आने वाले वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली में एक लोकप्रिय नेता नहीं हैं, लेकिन पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ और हर गुट का सहयोग लेने के कारण वे भाजपा के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की राजनीति को खत्म करने को अपना पहला लक्ष्य बताया था।

ओडीशा में पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश

मनमोहन सामल को ओडीशा की कमान सौंपी गई है। प्रदेश में नवीन पटनायक के एकछत्र राजनीतिक वर्चस्व वाले माहौल में पार्टी को मजबूत बनाना उनकी पहली जिम्मेदारी होगी। पार्टी संगठन से आने वाले मनमोहन सामल को केंद्रीय नेतृत्व का करीबी माना जाता है। आदिवासी मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ राज्य में भाजपा को मजबूत बनाने में उपयोगी साबित हो सकती है।

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