तेज आवाज और शोर कान के लिए घातक-डॉ.जयप्रकाश

"जिला अस्पताल में मनाया गया विश्व श्रवण दिवस,"

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

इटावा:  डॉ.भीमराव अंबेडकर जिला अस्पताल में शुक्रवार को विश्व श्रवण दिवस मनाया गया व ओपीडी में आए मरीजों को तेज आवाज व शोर कानों के लिए किस प्रकार घातक है इस संदर्भ में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। इस दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल के कान नाक गला (ईएनटी) विशेषज्ञ डॉ.जेपी चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व श्रवण दिवस हर वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। इस साल इस दिवस की / थीम “ईयर एंड हियरिंग केयर फॉर ऑल! लेटस मेक इट रियलिटी यानि कान और सुनने की देखभाल सभी के लिए! आइए इसे हकीकत बनाएं” ” तय की गई है।

डॉ चौधरी ने कहा कि हमें अपने कानों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हमारी श्रवण शक्ति एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम दुनिया से संपर्क करते हैं। इसलिए तेज आवाज और शोर कानों के लिए घातक है और हमें जानकारी होनी चाहिए किन तेज आवाजों से कान के साथ हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

उन्होंने बताया कि 140 से 150 डेसीबल स्तर के पटाखे,105 से 110 डेसीबल के स्तर से संगीत सुनना 95 डेसिबल से तेज वाहनों की आवाज हमारे कान को तो प्रभावित करती ही है साथ में सिर दर्द,कान दर्द और मानसिक बीमारियों को भी जन्म देती है। डॉ चौधरी ने बताया कि 45 से 60 डेसीबल तक की आवाज सामान्य होती है जो हमारे कानों पर किसी भी तरह का कोई बुरा प्रभाव नहीं डालती लेकिन इससे ज्यादा तेज आवाज हमारे कानों को बुरी तरह प्रभावित करती है इसलिए हमें ज्यादा तेज आवाज से बचना चाहिए।
उन्होंने बताया कि यदि अचानक कम सुनाई देने लगे या कान में तेज या रुक रुक कर दर्द हो कान के दर्द के साथ सिर में दर्द हो कान से पानी जैसा द्रव्य निकले तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपना परीक्षण कराएं। डॉ.चौधरी ने बताया कि अगर आपके बच्चे का कान बहता है तो कान में पानी ना जाने दें,किसी प्रकार का तरल पदार्थ ना डालें। मवाद को नरम कपड़े से साफ करें और तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।

कानों की देखभाल करने के लिए ध्यान रखें

कान में फंगल इन्फेक्शन होने पर डॉक्टर की सलाह से ही दवा का प्रयोग करें।
मोबाइल व ऑडियो उपकरणों का अधिक इस्तेमाल करने से से बचें।
अत्यधिक शोर से बचें,
सुनने की शक्ति को सुरक्षित रखने वाले उपकरण पहने (ईयर वडस)
का प्रयोग करें।
कान को नियमित साफ करें।
अत्यधिक शोरगुल वाले स्थान पर ज्यादा देर न रुके।
ईयरफोन लगाकर तेज संगीत न सुने।
जिला अस्पताल ओपीडी में आई 60 वर्षीय सुमन ने बताया कि उन्हें कभी-कभी कानों में घंटी बजने की आवाज (टिनिटस) की समस्या है। डॉक्टर द्वारा परीक्षण करने पर बताया गया कान का पर्दा ठीक है लेकिन सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है इसीलिए उन्हें तेज आवाज और शोरगुल से बचाव की सलाह दी गयी है ।

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