रसोई का बजट बिगाड़ रहे खाद्य तेल, जानिये क्या है सोयाबीन रिफाइंड के दाम

23 प्रतिशत खाने वाला तेल पेंट और वार्निश कारखानों में जा रहा है। भारत फिलहाल अपनी जरूरत का करीब 60 फीसद खाद्य तेल आयात कर रहा है, जिस पर देश को 1.17 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि देश का 23 फीसद खाद्य तेल पेंट और वार्निश सरीखे उत्पादों के कारखानों में जा रहा है और खाने के तेलों के मामले में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के मद्देनजर इस प्रवृत्ति पर रोक जरूरी है।


आईसीएआर अधिकारी ने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब देश में खाद्य तेलों की महंगाई आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ रही है। आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (तिलहन और दलहन) डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि भारत फिलहाल अपनी जरूरत का करीब 60 फीसद खाद्य तेल आयात कर रहा है, जिस पर देश को 1.17 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

इंदौर में सोयाबीन रिफाइंड के भाव में कमी

खाद्य तेल बाजार में मंगलवार को सोयाबीन रिफाइंड के भाव में सात रुपये प्रति 10 किलोग्राम की कमी हुई। आज पाम तेल 10 रुपये प्रति 10 किलोग्राम सस्ता बिका। तिलहन में सरसों के भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल कम हुए।

तिलहन

सरसों (निमाड़ी) 6400 से 6500,
नया रायड़ा 6300 से 6400 रुपये प्रति क्विंटल।

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तेल
मूंगफली तेल इंदौर 1630 से 1650,
सोयाबीन रिफाइंड इंदौर 1570 से 1575,
सोयाबीन साल्वेंट 1550 से 1555,
पाम तेल 1650 से 1655 रुपये प्रति 10 किलोग्राम।

कपास्या खली

कपास्या खली इंदौर 2125,
कपास्या खली देवास 2125,
कपास्या खली उज्जैन 2125,
कपास्या खली खंडवा 2100,
कपास्या खली बुरहानपुर 2100 रुपये प्रति 60 किलोग्राम बोरी।
कपास्या खली अकोला 3225 रुपये प्रति क्विंटल।

इंदौर में मसूर- मूंग के भाव में तेजी

संयोगितागंज अनाज मंडी मंगलवार को गेहूं निर्यात पर रोक के विरोध में बंद रही। मंडी के बाहर हुए सौदों में दलहनों में मसूर 50 रुपये और मूंग के भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी हुई।

दलहन

चना (कांटा) 4800 से 4825
मसूर 6600 से 6650
तुअर (अरहर) निमाड़ी (नई) 5500 से 6000, तुअर सफेद (महाराष्ट्र) 6200 से 6300, तुअर (कर्नाटक) 6500 से 6600,
मूंग 6550 से 6650, मूंग हल्की 6000 से 6400,
उड़द 6900 से 7000, उड़द मीडियम 5500 से 6200, उड़द हल्की 2500 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल।

दाल

तुअर (अरहर) दाल सवा नंबर 8200 से 8300,
तुअर दाल फूल 8400 से 8600,
तुअर दाल (नई) 8900 से 9600,
आयातित तुअर दाल 8100 से 8200,
चना दाल 5800 से 6300,
मसूर दाल 7850 से 8150,
मूंग दाल 8300 से 8600,
मूंग मोगर 8500 से 8800,
उड़द दाल 8300 से 8600,
उड़द मोगर 9100 से 9500 रुपये प्रति क्विंटल।

चावल

बासमती (921) 10000 से 11000,
तिबार 8000 से 8500,
दुबार 7000 से 7500,
मिनी दुबार 6500 से 7000,
मोगरा 3500 से 6000,
बासमती सैला 6500 से 9000,
कालीमूंछ 7500 से 8000
राजभोग 6800 से 7000,
दूबराज 3500 से 4500,
परमल 2500 से 2650,
हंसा सैला 2450 से 2650,
हंसा सफेद 2350 से 2450,
पोहा 3700 से 4100 रुपये प्रति क्विंटल।

विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद स्थानीय मांग कमजोर होने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार के मुकाबले मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन, सोयाबीन तेल, सीपीओ, बिनौला और पामोलीन तेल कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं। वहीं सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल और सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन) के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

दिल्ली मंडी में तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,565-7,615 (42 फीसद कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,835 – 6,970 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,650 – 2,840 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,390-2,470 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,430-2,540 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 17,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 16,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 15,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 15,300 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,550 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 16,850 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 15,620 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 7,000-7,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,700- 6,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों से जिस पैमाने पर रिफाइंड तैयार किया जा रहा है, उससे आगे जाकर सरसों की दिक्कत आ सकती है। फिलहाल गर्मी की मांग कम है लेकिन बरसात के साथ मांग बढ़ना शुरू होने पर दिक्कत पेश आ सकती है। विदेशी तेलों के महंगा होने की स्थिति में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला खाद्य तेलों की कमी को पूरा कर रहे हैं, लेकिन जितने बड़े पैमाने पर आयात किया जाता रहा है उसकी कमी की भरपाई देशी तेल एक निश्चित सीमा तक ही कर पायेंगे। सरसों के मामले में अगली फसल आने में लगभग नौ-10 महीने हैं। इस बीच की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देने की जरूरत है।

 

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