राम मंदिर के डोनेशन बॉक्स में तीन गुना आ रही दान राशि, तिरुपति मंदिर जैसा बनेगा कैश सिस्टम

स्टार एक्सप्रेस संवाददता

अयोध्या:  अयोध्या राम मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले ही उसके लिए आने वाले दान की रकम 3 गुना बढ़ गई है। मंदिर ट्रस्ट की तरफ से जारी की गई जानकारी के मुताबिक जनवरी 2023 से दान के रूप में आने वाली राशि 3 गुना तक बढ़ गई है। मंदिर प्रशासन ने फैसला किया है कि जल्द ही दान की राशि गिनने के लिए तिरुपति मंदिर जैसा सिस्टम बनाया जाएगा। सैकड़ों कार्यकर्ता नकदी की गिनती में जुटेंगे।

जनवरी 2023 से दान तीन गुना बढ़ गया

राम मंदिर को दान के रूप में मिलने वाली राशि 3 गुना हो गई है। मंदिर न्यास के अधिकारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों के अंदर मंदिर में रखी दानपेटी में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आ चुकी है। राम मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के मुताबिक दान की गिनती और जमा करने वाले बैंक अधिकारियों ने ट्रस्ट को बताया है कि जनवरी 2023 से दान तीन गुना बढ़ गया है।

गुप्ता ने बताया कि ट्रस्ट के बैंक खाते में गिनती और नकदी जमा करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने विशेष रूप से 2 अधिकारियों को नियुक्त किया है। राम  जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर में आने वाला दान तेजी से बढ़ रहा है। आने वाले समय में यहां तिरुपति बालाजी की तर्ज पर व्यवस्था की जाएगी।

जनवरी 2024 में भक्तों के लिए खुलेगा गर्भ गृह

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है। मंदिर अब दिव्य स्वरूप में दिखाई देने लगा है। बताया  जा रहा है कि दिसंबर 2023 तक भगवान राम का गर्भ गृह बन कर तैयार होगा और जनवरी 2024 यानी मकर संक्रांति के बाद गर्भगृह को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, मंदिर के दूसरे तल पर निर्माण काम जारी रहेगा। यहां पर राम दरबार के अलावा माता अन्नपूर्णा, भगवान शंकर, बजरंगबली समेत कई मंदिर बनाए जाएंगे।

कर्नाटक और नेपाल से लाई गईं थी शिलाएं

राम मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा और अन्य प्रतिमाओं के लिए शिलाओं का परीक्षण  किया गया था। इसके लिए नेपाल से पहुंची देव शिलाओं के बाद कर्नाटक से भी शिला अयोध्या पहुंची थी। कर्नाटक से लाई गई शिला को भी रामसेवकपुरम में देव शिलाओं के पास रखा गया था

मूर्ति बनाने के लिए इन चीजों का रखा जा रहा विशेष ध्यान

बता दें कि शालिग्राम शिला नेपाल की गंडकी नदी में मिलती है। ये शिला काफी महंगी होती है। शालिग्राम की शिला की लोग घर में पूजा भी करते हैं और प्रतिमा भी बनती है। गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा करीब 5.5 फीट की बननी है, जिसके नीचे 2 फीट का पेडेस्ट्रीयल भी होगा। रामनवमी के लिए सूर्य की किरण रामलला की प्रतिमा के ललाट पर पड़ेगी। इसके लिए इसका विशेष प्रकार से निर्माण जरूरी है। करीब 30 फीट दूरी से इसके दर्शन हो सकें, इसके लिए शिला की क्वालिटी भी अच्छी होनी चाहिए

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