मछलियों से होने वाली यह बीमारियों से मछली पालकों को हो सकता है घाटा इन तरीकों से करें उपचार

स्टार एक्सप्रेस संवाददता

दिल्ली: मछलियों से होने वाली यह बीमारियों का कारण हैं मछली पालक तालाब की नियमित सफाई नहीं करते हैं। चूने का उपयोग भी सही तरीके से नहीं किया जाता है, जिसके चलते मछलियों की मौत हो जाती है। आइए मछलियों में होने वाली कुछ बीमारियों और उसके उपचार के बारे जानते हैं।

मत्स्य रोग के सामान्य लक्षण

तालाब में मछलियों की मौत से मत्स्य पालकों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। तालाब में सफाई और चूना की व्यवस्था सही तरीके से होने पर मछलियों को बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि, कई बार मछली पालक लापरवाही कर जाते हैं। तालाब की नियमित सफाई नहीं करते हैं। चूने का उपयोग भी सही तरीके से नहीं किया जाता जिसके चलते मछलियों की मौत हो जाती है। आइए मछलियों में होने वाली कुछ बीमारियों और उसके उपचार के बारे जानते हैं।

मछलियों की इन बीमारियों से बचने का उपचार

चकत्तों की बीमारी- इस बीमारी में मछलियों के शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं. इसके उपचार के लिए कुनीन की दवाई का प्रयोग किया जाता है।

फफूंद- अगर मछलियों के शरीर पर कोई चोट या रगड़ लग जाती है तो उस पर रुई की तरह फफूंद लग जाती है जिससे मछलियां सुस्त होकर पानी की सतह पर आ जाती हैं। बीमार मछली को 5 से 10 मिनट तक नमक के घोल, नीला थोथा का घोल और पोटेशियम परमैग्नेट के घोल से नहलाएं।

आर्गुलस- इस बीमारी में मछली के शरीर पर चपटी जूं हो जाती हैं। 02 प्रतिशत माइसौल के घोल में 10 से 15 सेकेंड तक मछली को नहलाने से जूं समाप्त हो जाती हैं।

लार्निया- इस बीमारी से यह कीट मछली के शरीर से चिपक जाती हैं और मछली के शरीर पर घाव बना देता हैं। तालाब में पोटैशियम परमैगनेट का प्रयोग करने से यह बीमारी समाप्त हो जाती है।

फिनराट- इस बीमारी में मछलियों के पंख गल जाते हैं। बीमार मछलियों को नीला थोथा के घोल में एक- दो मिनट तक नहलाएं।

ड्रॉप्सी- इस बीमारी में मछली के किसी भी अंग में पानी सा भर जाता है। ऐसी बीमार मछलियों को तालाब से बाहर निकाल देना चाहिए।

 

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