अब हर दिन अस्पतालों में भर्ती दस मरीजों से बात करेंगे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

योगी सरकार में डिप्टी CM बनते ही Brajesh Pathak ने अस्पतालों और हेल्थ सेंटर का दौरा शुरू कर दिया था। इसके लिए वे बिना बताए, औचक निरीक्षण पर पहुंच जाते थे।

स्टार एक्सप्रेस

लखनऊ. यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अब हर दिन अस्पतालों में भर्ती दस मरीज़ों से बात करेंगे। फोन पर बात करके वे उनका हाल चाल जानेंगे। इस योजना का नाम ‘स्वास्थ्य आपका संकल्प हमारा’ रखा गया है। यूपी सरकार की कोशिश मरीजों से मिले फीडबैक के आधार पर स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर बनाने की है। डिप्टी सीएम पाठक के पास स्वास्थ्य विभाग है।

उन्होंने मरीज़ों से संवाद का काम शुरू भी कर दिया है। लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने मरीजों और उनके रिश्तेदारों से बातचीत का वीडियो भी दिखाया। जिसमें वे लोगों से तरह तरह के सवाल पूछते हुए नजर आए आपको किसी तरह की कोई परेशानी तो नहीं है। डॉक्टर आपको देखने आते हैं नर्स आपकी देखभाल कर रही हैं। किसी ने आपसे पैसे तो नहीं मांगे. अस्पताल में दवा मिलती है। इस सवाल के जवाब में एक मरीज ने कहा कि उन्हें बाहर से दवा लेनी पड़ी तो डिप्टी सीएम ने पूछा “ऐसा क्यों हुआ ? उस दवा का नाम बताइये”

शपथ लेते ही सख्त हो गये थे डिप्टी सीएम

योगी सरकार पार्ट-2 में डिप्टी सीएम बनते ही ब्रजेश पाठक ने अस्पतालों और हेल्थ सेंटर का दौरा शुरू कर दिया था। इसके लिए वे बिना बताए, औचक निरीक्षण पर पहुंच जाते थे। खुद मरीज बन कर अस्पताल में पर्ची बनवाते थे और फिर लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता था। डॉक्टर आते हैं कि नहीं. दवा मिलती है या नहीं। अस्पताल में मशीन काम करती है या फिर बाहर से टेस्ट करवाना पड़ता है। कई जगहों पर उनको कई तरह की गड़बड़ियां मिली कहीं डाक्टर ग़ायब मिले तो कहीं नर्स।

ब्रजेश पाठक ने पकड़ी एक्सपायर हो चुकी 16 करोड़ की दवाएं

लखनऊ में तो उन्होंने एक्सपायर हो चुकी 16 करोड़ की दवा पकड़ ली ये वो दवाइयां थीं जो सरकारी खर्चे पर खरीद ली गई लेकिन मरीजों को दी नहीं गई इस मामले में डिप्टी सीएम पाठक ने जांच के आदेश दे दिए हैं। लखनऊ से लेकर नोएडा और वाराणसी तक उन्होंने अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया और जरूरी सुधार के सुझाव दिए. अब तक वे 43 अस्पतालों का दौरा कर चुके हैं।

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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा है कि अब जो भी मरीज़ अस्पताल में भर्ती होगा, उसका मोबाइल नंबर नोट किया जाएगा। इसका एक डेटा बनाया जाएगा. इन मरीजों से बात कर उनसे मिले सुझाव के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग में सुधार किए जायेंगे।

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