अमेरिका के दो शीर्ष सीनेटरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डाटा स्थानीयकरण पर नरम रुख अपनाने को कहा है। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर भारत की नीति देश में अमेरिकी व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।

दरअसल, डाटा स्थानीयकरण किसी भी डिवाइस पर डाटा संग्रहीत करने का एक कार्य है जो भौतिक रूप से किसी विशेष देश की सीमाओं के भीतर मौजूद होता है, जहां डाटा उत्पन्न होता है।
बता दें कि आरबीआई ने अप्रैल, 2018 में जारी सर्कुलर में भुगतान सेवा देने वाले सभी कंपनियों को सुनिश्चित करने को कहा था कि भुगतान संबंधी सभी डाटा का संग्रहण भारत में ही स्थापित एक प्रणाली में करना होगा। आरबीआई ने ऐसा करने के लिए कंपनियों को 15 अक्तूबर तक की मोहलत दी थी।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में अमेरिकी सीनेटर जॉन कॉर्निन और मार्क वार्नर (जो अपने स्वयं के दलों में शीर्ष नेतृत्व की स्थिति रखते हैं) ने भारत सरकार के डाटा स्थानीयकरण की आवश्यकता का विरोध किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि जब कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाले गोपनीयता सुरक्षा को अपनाती हैं, तो डाटा के स्थान पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ता कि डाटा सुरक्षित है या नहीं।
इससे पहले आरबीआई के दिशा-निर्देशों के खिलाफ अमेरिकी कंपनियों ने ट्रंप प्रशासन से संपर्क किया था। अमेरिका के उप व्यापार प्रतिनिधि और डब्ल्यूटीओ में अमेरिका के राजदूत डेनिस ने शुक्रवार को कहा था, ‘हम एक सीमा से दूसरी सीमा तक सूचना और डाटा के मुक्त प्रवाह के लिए आंकड़ों के स्थानीयकरण पर रोक चाहते हैं। हम डिजिटल ट्रांसमिशन के लिए कर या शुल्क पर स्थायी प्रतिबंध चाहते हैं।’
उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और भारत को इन शुल्कों पर रोक के बारे में नए सिरे से सोचने को कहा था।