केंद्र सरकार को सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा का पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण से मिलना रास नहीं आ रहा है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी के प्रमुख का राजनेताओं से मुलाकात करना बहुत ही ‘असामान्य’ है।
मालूम हो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शौरी और प्रशांत भूषण ने राफेल विमान सौदे में कथित रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। मालूम हो कि पिछले सप्ताह शौरी और भूषण ने सीबीआई निदेशक से मुलाकात कर उन्हें दस्तावेज सौंपते हुए राफेल विमान सौदे और ऑफसेट कांट्रैक्ट में कथित भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की थी।
सरकारी अधिकारी ने मुलाकात को बताया बेहद असामान्य
सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह शायद पहली बार है कि सीबीआई निदेशक ने अपने कार्यालय में राजनेताओं से मुलाकात की है। ऐसी मुलाकात बहुत ही असामान्य है।’ इस बात से साफ है कि सरकार इस मुलाकात से खुश नहीं है। अपनी बात पर जोर देते हुए अधिकारी ने दावा किया कि सामान्य परिस्थितियों में जब कोई नेता सीबीआई प्रमुख से मुलाकात के लिए समय मांगते हैं तो उन्हें एजेंसी मुख्यालय के स्वागत कक्ष में शिकायतें या अन्य दस्तावेज सौंपने की सलाह दी जाती है।
अधिकारी ने ब्यौरा दिए बिना यह भी कहा कि कुछ सरकारी अधिकारी ‘उपद्रवी’ हो गए हैं और वे आपस में तीखी तकरार कर रहे हैं। यदि इस तरह की लड़ाई जारी रहती है तो संबंधित संगठनों को नुकसान होगा। सीबीआई निदेशक का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक है और वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ विवाद में उलझे हुए हैं। दोनों पक्ष सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। संगठन के 77 साल के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया।