विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष आलोक कुमार ने शुक्रवार को संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक के बाद सरकार को 2018 के आखिरी सूर्यास्त तक की समय सीमा दी है। उन्होंने बैठक के बाद कहा कि 2018 खत्म होने तक राम मंदिर निर्माण के लिए कानून नहीं बनने पर 31 जनवरी से 1 फरवरी 2019 तक इलाहाबाद में महाकुंभ के दौरान होने वाली धर्म संसद में अगला कदम तय किया जाएगा।

इससे पहले राम जन्मभूमि न्यास के कार्यवाहक प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में संत भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से नाराज दिखे। संतों का कहना था कि सर्वोच्च न्यायालय से भी मंदिर विवाद में जल्द निर्णय की उम्मीद खत्म हो गई है, ऐसे में संतों को इस मामले में सरकार के समक्ष अपना रुख साफ कर देना चाहिए।
कई संतों ने कहा कि इस केंद्र सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में हिंदुत्व से जुड़े सभी अहम मुद्दों मसलन राम मंदिर, अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में विमर्श तक नहीं किया गया। नाराजगी जताने वालों में स्वामी चिन्मयानंद, रामविलास वेदांती और अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती प्रमुख रहे।