वैज्ञानिकों ने बोला है कि उन्होंने एक ऐसी अनोखी दवा विकसित की है, जिससे अल्कोहल पीने की मात्रा में कमी लाकर शराब की लत छुड़ाई जा सकती है व अवसाद में भी कमी लाई जा सकती है। अध्ययन के मुताबिक, 2000 के दशक में शराब की लत में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई। एक अध्ययन में हर आठ आदमी में एक में शराब की लत पाई गई।वैज्ञानिकों ने बोला कि अवसाद से संसार में 14 करोड़ लोग प्रभावित हैं व वे शराब के प्रयोग से पैदा हुए रोगों से जूझ रहे हैं। हालांकि, कुछ ही दवाओं को ऐसे रोगों के उपचार के लिए मंजूरी मिली है।इन दवाओं का उद्देश्य शराब पीने की ख़्वाहिश में कमी लाना है।
लेकिन ये मनोवैज्ञानिक रोगों का उपचार नहीं करते हैं। अध्ययन में जी प्रोटीन युक्त ‘रिसेप्टर’ पर जोर दिया गया है।इसे डेल्टा ओपिऑयड रिसेप्टर भी बोला जाता है। यह ऐसी अनोखी दवा है, जिससे शराब पीने की ख़्वाहिश में कमी लाई जा सकती है। परड्यू यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर रिचर्ड वैन रिज्न ने कहा, ‘‘हम प्रभाव पैदा करने के लिए इस दवा का प्रयोग कर सकते हैं। इससे ‘साइट इफेक्ट’ से भी बचा जा सकता है। ’’
भारत में 2005 से 2016 तक शराब की प्रति आदमी खपत हुई दोगुना : WHO
विश्व सेहत संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में प्रति आदमी शराब की खपत 2005 से 2016 तक दोगुना हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान में, शराब की खपत 2005 में 2.4 लीटर से बढ़कर 2016 में 5.7 लीटर हो गई है, जिसमें पुरुषों द्वारा 4.2 लीटर व स्त्रियों द्वारा 1.5 लीटर का उपभोग किया गया है।
रिपोर्ट में बोला गया है कि 2025 तक डब्ल्यूएचओ क्षेत्रों के आधे क्षेत्रों में कुल प्रति आदमी शराब की खपत (15+वर्ष) में वृद्धि होने की उम्मीद है व दक्षिण-पूर्व एशिया एरिया में सबसे अधिक वृद्धि की उम्मीद है। केवल हिंदुस्तान में ही 2.2 लीटर वृद्धि की उम्मीद है। हिंदुस्तान इस एरिया में कुल जनसंख्या के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। इंडोनेशिया वथाईलैंड में भी कुछ वृद्धि होने की उम्मीद है। दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि पश्चिमी प्रशांत एरिया की आबादी के लिए अनुमानित है, जहां चाइना की आबादी सबसे बड़ी है। इस एरिया में 2025 तक शुद्ध शराब की प्रति आदमी खपत में वृद्धि 0.9 लीटर होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में बोला गया है कि 2000 व 2005 के बीच अपेक्षाकृत एक स्थिर चरण के बाद वैश्विक रूप से प्रति आदमी शराब की खपत में वृद्धि हुई है। इसके बाद से कुल प्रति आदमी खपत 2005 में 5.5 लीटर से बढ़कर 2010 में 6.4 हो गई व 2016 में यह 6.4 लीटर के स्तर पर ही बनी हुई है। अल्कोहल का हानिकारक उपयोग दुनियाभर में लोगों के सेहत के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है जो मातृ व शिशु स्वास्थ्य, संक्रामक रोग (एचआईवी, वायरल), हेपेटाइटिस, तपेदिक), गैर-संचारी बीमारियां व मानसिक सेहत समेत सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कई स्वास्थ्य-संबंधी लक्ष्यों पर प्रत्यक्ष रूप से असर डालता है। 2016 में अल्कोहल के हानिकारक प्रयोग से दुनियाभर में 30 लाख लोगों (सभी तरह की मौतों का 5.3 प्रतिशत) की मौत हुई। रिपोर्ट में बोला गया है कि शराब का हानिकारक प्रयोग 200 से अधिक बीमारियों व चोटों की स्थितियों में एक कारण रहा है।