लखनऊ. पहली बार अखिलेश यादव को अपने ही बनाए विधान परिषद के सभापति को हटाने की गोलबंदी करनी पड़ रही है। यदि ऐसा हुआ तो निश्चित है कि जल्द ही विधान परिषद के नए सभापति की तैनाती होगी।
जानकारी के मुताबिक, विधान परिषद के प्रमुख सचिव मोहन यादव का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उन्हें सेवा विस्तार देने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सभापति रमेश यादव से बातचीत की थी, लेकिन रमेश यादव ने मोहन यादव का कार्यकाल बढ़ाने की संस्तुति करने से साफ मना कर दिया है।
रमेश यादव के इनकार से आहत अखिलेश यादव ने उनको सभापति के पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना लिया है। मौजूदा विधान परिषद में समाजवादी पार्टी का बहुमत है। यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर रमेश यादव को हटाना समाजवादी पार्टी के लिए आसान है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की माने तो सभापति रमेश यादव का बेटा आशीष यादव भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर एटा से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहता है। इसके लिए उसके ऊपर दबाव है कि वह अपने पिता से भाजपा के पसंद का व्यक्ति ही प्रमुख सचिव विधान परिषद बनवाए।
माहौल गर्माता हुआ देख समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस विवाद पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा है कि इस विवाद में अखिलेश यादव के दिशा-निर्देश का पालन किया जाएगा। फिलहाल इस घटनाक्रम से प्रदेश की राजनीति में काफी हलचल है।