
मंत्रालय ने अवॉर्ड कमेटियों की ओर से प्रस्तावित किए गए बाकी सभी नामों को हरी झंडी दे दी है। वहीं जीवनजोत और भारतीय तीरंदाजी टीम के तीन अर्जुन अवॉर्डी तीरंदाजों ने इस कार्रवाई को नाइंसाफी करार दिया है। जीवनजोत ने साफ किया है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
जस्टिस मुकुल मुद्गल की कमेटी ने जीवनजोत का नाम द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए प्रस्तावित किया था, लेकिन मंत्रालय के पास तेलंगाना तीरंदाजी संघ की ओर से शिकायत की गई कि जीवनजोत को 2015 में एक साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था। दरअसल वर्ल्ड यूनिवर्सियाड में भारतीय टीम को पोलैंड के खिलाफ कांस्य पदक मुकाबला खेलना था, लेकिन टीम खेलने पहुंची नहीं और पदक पोलैंड को चला गया। टीम के कोच जीवनजोत थे। इसे उनकी अनुशासनहीनता मानी गई और प्रतिबंधित कर दिया गया।
तीरंदाज रजत चौहान और ज्योति सुरेखा का मानना है कि इस घटना को तीन साल बीत गए हैं। कोच के खिलाफ कार्रवाई भी की जा चुकी है, लेकिन एक ही गलती की उन्हें कितनी बार सजा मिलेगी। उनकी कोचिंग में देश ने इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण और जकार्ता में रजत जीता है। साथ ही उनकी ही कोचिंग में उनका खेल निखरा और अर्जुन अवॉर्ड जैसा पुरस्कार मिला।
मंत्रालय को अपने फैसले पर एक बार फिर पुर्नविचार करना चाहिए। जीवनजोत का कहना है कि वह मंत्रालय से फैसला पलटने की गुहार लगाते हैं। अगर न्याय नहीं मिला तो उनके पास अदालत जाने के अलावा कोई चारा नहीं है।