कुछ स्थानों से निजी और सरकारी वाहनों पर हमले की छिटपुट घटनाओं की भी खबरे हैं। वाम शासित केरल में वाहन सड़कों से नदारद रहे और दुकानें एवं कारोबारी संस्थान बंद रहे। राज्य में 12 घंटे का बंद बुलाया गया। माकपा की अगुवाई वाले सत्तासीन वाममोर्चा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी एकीकृत लोकतांत्रिक मोर्चा ने बंद का समर्थन किया है।
सरकारी दफ्तरों में उपस्थिति बहुत कम रही है। बस टर्मिनलों और रेलवे स्टेशनों पर यात्री फंसे रहे। सुबह जो दुकानें खुलीं उन्हें बाद में बंद समर्थकों ने बंद करा दिया। वैसे बाढ़ राहत कार्यों, अनिवार्य सेवाओं, पर्यटन उद्योग, बीमार व्यक्तियों की आवाजाही को बंद के दायरे से मुक्त रखा गया है।
कर्नाटक में भी सामान्य जनजीवन पटरी से उतर गया जहां कांग्रेस-जदएस सत्ता में है। शहर में सड़कें सूनसान रहीं क्योंकि सरकारी बसें, निजी टैक्सियां और ज्यादातर ऑटोरिक्शा नहीं चले। दुकानें और मॉल बंद रहे क्योंकि कांग्रेस, जदएस और वामदलों के सैंकड़ों कार्यकर्ता बंद लागू करने के लिए सड़कों पर उतर गये थे। मेंगलुरु में बंद समर्थकों ने बंद लागू करने के लिए दुकानों पर पथराव किया।
तुमाकुरु, रामनगर, मांड्या, चन्नापटना, हसन, मेंगलुरु, चामराजगर, मैसुरु, हुब्बली, बीदर और कोलार समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों से बंद के सफल रहने की रिपोर्ट है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘लोगों को मुश्किल में डालने की गलत मंशा से बंद बुलाया गया है। बंद से केवल लूटपाट करने वालों को फायदा हो रहा है। लोगों को पता है कि क्या हो रहा है। कर्नाटक छोड़कर देश में कहीं भी यह सफल नहीं है। यहां कांग्रेस एवं जदएस की साजिश है।’’
तमिलनाडु में सामान्य जनजीवन बंद से कमोबेश अप्रभावित रहा। शैक्षणिक संस्थान, सरकारी एवं निजी कार्यालय, वाणिज्य प्रतिष्ठान आराम से चलते रहे। आंध्रप्रदेश में विपक्षी कार्यकर्ता हिरासत में लिये गये। सत्तारुढ़ तेदेपा ने भी अलग से प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ईंधन के दामों में बार बार वृद्धि करने की आलोचना की। पुडुचेरी में बंद का बहुत बुरा असर रहा। दुकानें एवं कारोबारी परिसर बंद रहे।