देशभर में चारो ओर शिक्षक दिवस की धूम है। देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन जी की याद में इस दिन को याद किया जाता है। ऐसे में खेल क्षेत्र इससे कैसे अछूता रह जाता। गुरू-शिष्य की परंपरा वाले इस देश में आइए जानते हैं, एशियन गेम्स में पदक जितने वाले खिलाड़ियों के गुरू अपने चेलों के बारे में क्या कहते हैं।

मनिका बत्रा- एशियन गेम्स की टेबल टेनिस स्पर्धा में भारत की ओर से पहली बार व्यक्तिगत मेडल जीतने वाली मनिका बत्रा युवाओं के लिए आदर्श हैं। महज 4 साल की उम्र से कोच संदीप गुप्ता से ट्रेनिंग लेने वाली मनिका खुद को खुशकिस्मत मानती हैं। उनके कोच कहते हैं कि, ‘रोजाना हम 6-8 घंटे प्रैक्टिस करते हैं। मैंने अपनी पूरी जिंदगी उस पर समर्पित कर दी, मुझे पता था कि एक दिन वह जरूर देश का नाम रौशन करेगी।
मनिका बत्रा- एशियन गेम्स की टेबल टेनिस स्पर्धा में भारत की ओर से पहली बार व्यक्तिगत मेडल जीतने वाली मनिका बत्रा युवाओं के लिए आदर्श हैं। महज 4 साल की उम्र से कोच संदीप गुप्ता से ट्रेनिंग लेने वाली मनिका खुद को खुशकिस्मत मानती हैं। उनके कोच कहते हैं कि, ‘रोजाना हम 6-8 घंटे प्रैक्टिस करते हैं। मैंने अपनी पूरी जिंदगी उस पर समर्पित कर दी, मुझे पता था कि एक दिन वह जरूर देश का नाम रौशन करेगी।
रानी रामपाल- एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल के कोच एस. बलदेव सिंह कहते हैं, ‘एक छात्र को गुरू से अच्छा कोई वरदान नहीं मिल सकता’। रानी की तारीफ करते हुए बलदेव सिंह कहते हैं कि, ‘जितना मैं उसपर मेहनत करता हूं वह और निखरती जाती हैं।
पिंकी बलहारा- कुराश में सिल्वर मेडल जीतने वाली पिंकी बलहारा की कोच हैं शीला के.एस. । गार्गी कॉलेज में फिजिकल एजुकेशन विभाग की डायरेक्टर शीला ने न सिर्फ पिंकी के खेल को निखारा बल्कि उसे हर कदम पर प्रेरित भी किया। शीला बताती हैं कि पिंकी एक मेहनती लड़की थी। हमने हमेशा उसे कॉलेज में अटेंडेंस की फिक्र किए बगैर प्रैक्टिस करने को कहा।
बजरंग पूनिया- ‘दमवाला पहलवान है। वह खुद जल्दी नहीं थकता बल्कि अपने विपक्षियों की सांस फूला देता है। मैंने बचपन से उसकी प्रतिभा को पहचाना है। अब वह देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर रहा है। ये कहना है एशियन गेम्स में 65 किग्रा में गोल्ड जीतने वाले बजरंग के कोच रामफल पूनिया का।
शार्दुल विहान- महज 15 साल की उम्र में चांदी पर निशाना लगाकर एशियन गेम्स में देश का नाम रौशन करने वाले शार्दुल विहान को अनवर सुल्तान ट्रेन करते हैं। अनवर खुद जाने-माने शूटर रह चुके हैं। शार्दुल की प्रतिभा पर उन्होंने कहा कि मैंने उसे 3 साल की उम्र से सीखाना शुरू किया, यह उसका टैलेंट ही है कि अब वह महज 15 साल की उम्र में सीनियर टीम का हिस्सा है।
अभिषेक वर्मा- मिठाई बांटने से लेकर पटाखे फोड़ने तक अभिषेक के गुरु ओमेंद्र सिंह ने अपने चेले अभिषेक की एशियन गेम्स में उपलब्धियों को जी खोलकर सेलिब्रेट किया। 10 मीटर पिस्टल में ब्रॉन्ज जीतने वाले इस शूटर के बारे में कोच ओमेंद्र कहते हैं कि उसे तो अभी बहुत आगे जाना है। वह बहुत फोकस है और मुश्किलों से पार पाना उसकी योग्यता।