
वांगचुक (51) को सुदूर उत्तर भारत में शिक्षा प्रणाली में उनके अनोखे व्यवस्थित, सहयोगपूर्ण और सामुदायिक सुधार के लिए जाना जाता है जिससे लद्दाखी युवाओं की जिंदगियों में सुधार आया। वांगचुक श्रीनगर एनआईटी में 19 वर्षीय इंजीनियरिंग के छात्र थे जब वे अपनी स्कूलिंग का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगे। साल 1988 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद वांगचुक ने स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की और ऐसे लद्दाखी छात्रों को कोचिंग देनी शुरू की जिनमें से 95 प्रतिशत सरकारी परीक्षाओं में फेल हो जाते थे।
कोलंबिया के युक चांग, ईस्ट तिमोर की मारिया डी लॉर्दिस मार्टिंस क्रूज, फिलीपीन के हॉवर्ड डी और वियतनाम के वो थी होआंग येन इस पुरस्कार के अन्य विजेता हैं। प्रत्येक विजेता को एक सर्टिफिकेट, एक पदक और नकद पुरुस्कार दिया गया।