रिजर्व बैंक का कहना है कि देश के बैंकों को फिलहाल फंसे कर्जों (एनपीए) की समस्या से निजात नहीं मिलने वाली है। यदि अर्थव्यवस्था की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों पर गौर किया जाए तो चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकों के एनपीए में और बढ़ोतरी ही होगी।

रिजर्व बैंक के वर्ष 2017-18 के लिए बुधवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल 31 मार्च तक देश के सभी बैंकों का एनपीए तथा रिस्ट्रक्चर्ड लोन इन बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज के 12.1 फीसदी तक पहुंच गए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च 2015 को देश के सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का समन्वित सकल एनपीए 3,23,464 करोड़ रुपये था जो 31 मार्च, 2018 को बढ़कर 10,35,528 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बैंकों की एक तरफ परिसंपत्ति की गुणवत्ता (असेट क्वालिटी) खराब हो रही है और दूसरी तरफ बेसल-3 मानक पर अमल करने की वजह से बैंकों में अतिरिक्त पूंजी डाली जा रही है। अतिरिक्त पूंजी की व्यवस्था या तो बजटीय प्रावधान से या फिर बांड जारी कर की जा रही है।