बता दें कि राफेल सौदे पर लगातार विपक्ष के आरोपों का सामना कर रही मोदी गवर्नमेंट को शुक्रवार को उच्चतम कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर फ्रांस के साथ हुए सौदे की जांच न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
ममाले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बोला कि प्रक्रिया में विशेष कमी नहीं रही है व केंद्र के 36 विमान खरीदने के निर्णय पर सवाल उठाना सही नहीं है. कोर्ट का कहना है कि विमान की क्षमता में कोई कमी नहीं है. उच्चतम कोर्ट ने कहा, ‘हम पूरी तरह से संतुष्ट है कि राफेल सौदे की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रही. राष्ट्र को सामरिक रूप से सक्षम रहना आवश्यक है.
न्यायालय के लिए अपीलकर्ता प्राधिकारी के रूप में बैठना व सभी पहलुओं की जांच करना संभव नहीं है. हमें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित होता हो कि इस सौदे में किसी के व्यापारिक हित साधे गए हों.‘ मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने की. न्यायमूर्ती रंजन गोगोई ने कहा, ‘ऑफसेट पार्टनर वव्यक्तियों की धारणा का चयन करने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है.
यह रक्षा खरीद के संवेदनशील मुद्दे में पूछताछ का कारण नहीं हो सकता है. हम 126 एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए गवर्नमेंट को मजबूर नहीं कर सकते हैं व न्यायालय के लिए इस मामले के हर पहलू की जांच करने के लिए उचित नहीं है. मूल्य निर्धारण विवरण की तुलना करना न्यायालय का कार्य नहीं है.‘